कभू एती चले लगथे कभू ओती चले लगथे।
हवा गँदला सियासत के सबो कोती चले लगथे।
लहर जेकर चलत हे वो उड़ाके चल गइन दिल्ली।
गिरे हे पाँव मा ते मन उँकर होती चले लगथे।
जिही डारा ल काटत हे उही मा झूल जा कहिथें।
चले आरी हुकूमत के सबो रोती चले लगथे।
चुनावी धुंध ले आँखी करू चिपहा करइया मन।
धथूरा बीज नफरत के इहाँ बोती चले लगथे।
धरिन हे जेन अँगरी अब नरी मा हाथ हे "रौना"।
चपकहीं घेँच कोनो दिन बदन खोती चले लगथे।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
हवा गँदला सियासत के सबो कोती चले लगथे।
लहर जेकर चलत हे वो उड़ाके चल गइन दिल्ली।
गिरे हे पाँव मा ते मन उँकर होती चले लगथे।
जिही डारा ल काटत हे उही मा झूल जा कहिथें।
चले आरी हुकूमत के सबो रोती चले लगथे।
चुनावी धुंध ले आँखी करू चिपहा करइया मन।
धथूरा बीज नफरत के इहाँ बोती चले लगथे।
धरिन हे जेन अँगरी अब नरी मा हाथ हे "रौना"।
चपकहीं घेँच कोनो दिन बदन खोती चले लगथे।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
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