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सोमवार, 3 मार्च 2025

सरपंच के झटका

 एक दिन के गोठ आय कका ह घर म बैठे-बैठे लाल चाहा पियत रहय,उहि बेरा म वोकर छोटे भतीजा ह आके कहीथे कका मेहा ये बच्छर चुनाव लड़े के बारे म सोचत हों अऊ तोर आशीर्वाद लेय के खातिर आए हों,अतका गोठ ल सुनके कका ह बात काटत बोलिस,अरे बेटा तेहा चुनाव उनाव के चक्कर म काबर पड़त हस,कलेचुप कमा अऊ खा|भतीजा ह कथे कका ये बच्छर सहिच म चुनाव लड़हूं चाहे जो भी हो जाय|
          भतीजा के नशा ल देख के कका ह कहीथे कस रे दस बीस लाख रुपया  रखे हस? जेन चुनाव लड़े के हिम्मत करत हस, कहाँ ले वोतका पैसा पाबे बेटा? भतीजा कहीथे कका काँहचो के उधार बाढ़ी करहूं,या नहीं ते मोर हिस्सा के एक दु एकड़ खेत ल बेचहूँ,फेर सरपंच के चुनाव जरूर लड़हूँ|
           लइका के जोश ल देख सुन के कका ह कहीथे अरे बेटा खेत खार ल बेच के या करजा करके चुनाव लड़े के अक्कल ते कहाँ ले पाएस? देख बेटा बड़े-बड़े राजा ह फकीर होगे रे ये बुता म जी,त तोला कोन पुछही? अऊ अतेक करजा करके चुनाव जीत डरबे त का कर डरबे? अऊ फेर करजा ल कईसे छुटबे? अऊ सबले बड़े गोठ ये हरे कि तेहा अंचइत पंचइत के बुता कईसे करके करबे? 
       भतीजा ह कका के गोठ ल सुन के हाँसत-2 कहीथे,तेहा नइ जानस कका आजकल के सरपंची ल, आज कोनो ह नेता पर हितवा करे बर नी बने गो, सब अपन के देखईया हे | महू ह एक दांव सरपंच बन जहूं न त जम्मो करजा ह ऐसने छुटा जाहि|
         बबा कथे कि, के रूपया तनखा हावय रे सरपंच के? जेन तेहा महल बना डरबे,भतीजा कथे ये कका,तै निचट भोला हस गो,अजी एक दांव सरपंच बनना याने कि कोनो कुबेर के लाॅटरी लगे के बरोबर होथे,कका कहीथे का लाॅटरी रे,, भतीजा कहे,झटका कका झटका, तै नी जानस गो,नदिया के रेती म झटका,दारू अऊ खदान के ठेका म झटका,नाली नरवा के पाछु म झटका,करोड़ो के  विकास कार्य के बजट म लाखों के सरकारी झटका,रोजगार गारंटी म झटका,गाँव के तरिया नरवा के मछरी अऊ रुख राई म झटका,का बताबे बबा भाषण से राशन,अऊ आवास से ले के आखिरी सांस म झटका, अब का बतांव कका,गरीबी रेखा अऊ कोला बारी तक म झटका हावय गो,, तभे तो ते नि जानस का आज जेन देखबे तेन मटमटाय हावय चुनाव लड़े खातिर|तभे तो जेकर औकात नी राहे वहू मनखे ह पाँच बच्छर म बड़े बड़े मोटर कार अऊ बंगला बना डरथे जी|वोकर संगे -संग गांव म दिखावटी शान अलग मिलथे|
                अतेक जबर झटका ल का सुनिस कका के अंतस ल जोर के झटका लागिस,कका कथे बेटा ये तो पाप हरे न अपन गाँव घर अऊ धरती दाई के संग म गद्दारी करना ह, कहाँ  के धरम आय,बेटा वो पंच परमेश्वर के गोठ कहाँ गे, जिन्हा मनखे के ईमान ल सबले बड़े धरम माने जाय,कका ह समझाय बेटा मेहनत के कमई ह सबले बड़ा पुण्य होथे रे,चल कुदारी ल धर अऊ धरती दाई के सेवा कर, बड़ पुण्य मिलही रे???
                कुछ सोचत कका ह कहीथे,अरे हाँ कोनो चुनाव हार गेस त का होहि रे? ,भतीजा ह जानू मानु  मजाक करत कहीथे  अऊ का होहि,कका 
" फोकट के चाउर मिले,फोकट म नून,
में गावत हो ददरिया तै कान दे के सुन|
राशन कार्ड म चाऊर मिलही,
श्रम कार्ड म मिलही बुता|
मुड़ कान पिराय त,पी खा के सुता||
तबियत खराब होहि त,
आयुष्मान ह माढ़े हे,
करजा दे बर,बैंक के लोन ह ठाढ़े हे||
     अइसन दिल्लगी करत मैं जावत हों बबा पर्चा भरे बर कहिके  हाँसत-2 भाग गिस,,,, बबा मुड़ धर के सोच म पड़गे,,, का सच म आज चुनाव सिरिफ झटका के खातिर होथे---
श्रवण कुमार साहू, "प्रखर"
राजिम गरियाबंद,( छ. ग.)

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