महेश कुमार केशरी
भाई
शब्द की महिमा अपरंपार है l भाई भरत का सिंहासन पर ना बैठना l और राम
के खडाऊ का वंदन करना भारतीय पुरातन परंपरा में एक विरला और एक अद्वितीय
उदाहरण है l उनका ये भ्रातृ प्रेम कलियुग में हमारे यहाँ की महिलाओं का
सुरक्षा कवच भी बनकर सामने आया है l जिसने हम झोला छाप मजनूँओं की वाट लगा
दी है l इधर भारतीय राजनीति में नीरव मोदी , और , विजय माल्या ने जितना
दोहन हमारे भारतीय बैंकों का किया है l उससे कहीं ज्यादा दोहन या कह
लें कत्ल हमारी तथाकथित भारतीय सुंदरियों ने हम आशिक मिजाज आशिकों को "
भईया " का संबोधन कहकर किया है l भारतीय सुंदरियों के लिये " भईया "
शब्द एक तरह का सुरक्षा कवच होता है l जैसे दुश्मन से बचने के लिये
हमारी सेना बंकरों का इस्तेमाल करती है l वैसे ही ये महिलायें " भईया "
शब्द का उपयोग , अभेद किले के तौर पर करतीं हैं l
बहुत
पुराने समय की बात है l सुघड़ जी नाम के एक ऋषि हुआ करते थें l सुघड़
पुराण जिन- जिन मनीषियों ने पढ़ा है l उनको सुघड़ ऋषि के बारे में अवश्य
जानकारी होगी l सुघड़ पुरण का एक प्रसंग है , जिसे मैं आपको सुनाता हूँ
l
जुगाड़ू जी की एक स्टेशनरी की दुकान थी l उनके
यहाँ एक हथिनी जी अक्सर आती- जातीं थीं l जुगाड़ू जी बेचारे बहुत ही सीधे-
साधे आदमी थें l उन्हें तीन - पाँच से कोई मतलब नहीं था l उनके शहर में एक
बार एक खेल आयोजन " हथिनी जी के महाविधालय " में होना तय हुआ था l सफेद
हथिनी जी की नाक चपटी थी , जो
उनकी सुंदरता में
चार - चाँद लगाती थी l कद -काठी ठिगनी सी थी l मुश्किल से चार - सवा- चार
फीट की थीं , सफेद हथिनी जी l उनको देखकर कोई घोड़ा क्या बंदर भी घास
नहीं डालता l लेकिन , उन्हें गुमान था कि शहर के हर मर्द की नजर उन पर है l
और हर नजर उन्हें गोश्त के एक टुकड़े की तरह देखता है l इसलिए प्राय: वो
सभी मर्दों से एक निश्चित दूरी बनाकर रखतीं l किसी कारण वश यदि बातचीत
करना बहुत जरूरी भी हो तो वे बड़ी होशियारी से सामने वाले से भाई का
रिश्ता जोड़ लेतीं l जैसा कि प्राय: सभी महिलायें आत्ममुग्ध होती हैं l
तो , हथिनी जी भी आत्ममुग्ध थीं l प्रार्चाय थीं तो काॅलेज के
मजनूँनुमा टीचरों से मुफ्त के मोबाईल रिचार्ज करवातीं l सैर - सपाटे ,
पिकनिक - सिनेमा भी साथ देख आतीं l मुफ्त की आईसक्रीम भकोसतीं l इस तरह हर
मजनूँनुमा आशिक के वे मजे लेतीं l जब आशिक आजिज आ जाता l या उसे लगता कि
उसकी अच्छे से ली जा रही है l तो , ठीक उसके कुछ कहने से पहले ही वो कह
देतीं l अरे , तुम तो मेरे भाई जैसे हो l
पर कटा हुआ आशिक , तब बुरी तरह से लूटने- पिटने के बाद जार - जार रोता l
हथिनी
जी को लेकर एक किंवदंती भी है l कि हथिनी जी पिछले जन्म में मेनका या
रंभा की तरह अप्सरा हुआ करतीं थीं l बला की खूबसूरत l सुघड़ जी उस समय धरती
पर तपस्या कर रहें थें l वे तीनों लोकों को जीत चुके थें l अब हर ओर
सुघड़ जी की जय- जयकार हो रही थी l भगवान इँद्र का सिंहासन जब खतरे में
पड़ा तो l तो भगवान इँद्र , भगवान विष्णु के पास गये l और बोले -प्रभु
ये अदना सा आदमी आपको अपनी तपस्या से खुश करके l मेरे इंद्र लोक पर कब्जा
करना चाहता है l कुछ , कीजिए, प्रभु , कुछ कीजिए !
तब
भगवान् विष्णु ने हथिनी को मेनका का रूप देकर सुघड़ जी की तपस्या भंग
करने के लिये भेजा l सुघड़ जी घोर तपस्या में लीन थें l जब हथिनी ने ,
मेनका बनकर उनकी तपस्या भंग कर दी l तब , सुघड़ जी ने मेनका को क्रोधित
नेत्रों से देखते हुए श्राप दिया कि - हे मूर्ख स्त्री ! तूने मेरे
वर्षों की तपस्या को भंग किया है l जा तू अगले जन्म में एक हथिनी के रूप
में जन्म लेगी l तेरी हरकतें देखकर तेरी , जो बाद की जातियाँ पैदा होंगी
l वो मक्कार पैदा होंगीं l मर्दों से मोबाइल के फ्री रिचार्ज करवायेंगीं l
होटलों में ठूँस- ठूँस कर खायेंगी l मुफ्त के आईसक्रीम भकोसेंगीं l
मर्दों के पैसों पर खूब सैर- सपाटे करेंगीं l जिन्हें केवल पैसे से प्रेम
होगा l आदमी से नहीं l
जिनकी अक्ल घुटनों में होगी l
कोई भला मानुष भी उनसे प्रेम करने की सोचेगा l तो उस आदमी में हर औरत को
एक भेंडिया ही दिखाई देगा l सच्चा प्रेम उन्हें कभी नहीं मिलेगा l वो सबको
शक की नजरों से देखेंगीं l जिस तरह तूने छल करके मेरी तपस्या भंग की है l
तू भी अपने धोखे के कारण छली जायेगी l जा अगले जन्म में तू भैंसी बनेगी
l
लेकिन ; अगले जन्म में मेनका भैंसी तो ना हुई l
अलबत्ता हथिनी जरूरी हो गई l छलने वाली बात भी उल्टी पड़ गई l उसे लोग
क्या ठगते l वो ही लोगों को ठग लेती l कभी मुफ्त की रिचार्ज करवा लेती l
कभी मेला- सिनेमा घूम आती l कभी मुफ्त की
आइसक्रीम भकोसती l जब तक उसके आशिक को पता चलता l तब तक वो कोई नया आसामी ढूँढ़ लेती l
हथिनी
जो को किसी ने कह रखा था , कि आपकी नाक चपटी है तो क्या हुआ ? आपका रंग
तो गोरा है l वैसे भी हमारे देश में कलर को लेकर मारा -मारी है l और ,
लोग कलर को लेकर काॅमप्लिकेशन पाले हुए हैं l नहीं तो मार्केट में गोरा
होने के इतने सारे ब्यूटी प्रोडक्ट की बाढ़ नहीं आती l
जैसे
अंधों में काना राजा होता है l वैसे ही आप नाटी हैं तो , क्या हुआ ?
वैसे आप भैंस के मोटापे को भी फेल करने में महारत रखती हैं l हमारी
हथिनी बिरादरी की आप , सेरेना विलियम्स हैं l फिर , क्या था ? करेला नीम
को चढ़ा वाली कहावत हो गई l हथिनी जी भी अपने को "मिस - वर्ल्ड " समझने
लगीं l वैसे तो हथिनी जी जुगाड़ू जी से अपने काम से काम रखतीं थीं l
लेकिन " महाविधालय के खेल प्रतियोगिता आयोजन वाले दिन " उनको अपना नंबर
जुगाड़ू जी को देना पड़ गया l उनका सातवाँ सेंस खुल गया l जैसे लोहे को
लोहा काटता है l कि तर्ज पर रिश्ते को रिश्ते से काटा जाये वाली खुराफात
हथिनी जी को सूझी l वो , जुगाड़ू
जी को " भईया " कहकर संबोधित करने लगीं l तब जुगाड़ू जी चकराये l बोले -" ये औरत तो बड़ी खुराफाती दिमाग की है l "
मैनें
कहा-" हाँ ,जुगाड़ू जी , ये सेफ-जोन में रहकर हर गेम खेलतीं हैं l मैनें
और शिक्षकों के आशिक बनने और जिबह होने के किस्से उनको सुनाये l "
वो दिन है था l और आज का दिन है l जुगाड़ू
जी ने कभी हथिनी जी को फोन नहीं मिलाया l
मेघदूत मार्केट फुसरो
बोकारो ( झारखंड)
पिन-829144
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