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सोमवार, 3 मार्च 2025

कुकुर सहराय अपन पुछी

कुछ लोगन होथे जिद्दी मुफट
ककरो कहे बरजे नी मानय
कोनो ल अपन नी जानय
घातेच देखा ले अपनापन
कतको परछो दे गन-गन
फेर अपन आदत नी छोड़य
ककरो तिर हाथ-पाँ नी जोड़य
खुद ला मानथे निचट ऊपर
बाखा निकले हे,चाहे कूबर
अपन खामी नी देखय
बोल-बानी मा अब्बड़ सरेखय
जेला नही तेला परेड़य
नाम ले-लेके गिनय
जेकर नही तेकर ला छिनय
सकलाय नदिया कमतर पानी
पुरा आवय छीन भर जुवानी
तेसने बुद्धु लोगन होथे
दुसरा पर परिया दोस थोपे
जइसे कुकुर सहराय अपन पुछी
घात लगाइ अउ अहिंसक सुझी
एसना कभु नी होवय,
जेन पतियाही तेन रोवय।।
चन्द्रकांत खुंटे 'क्रांति'
जांजगीर-चाम्पा (छत्तीसगढ़)

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