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रविवार, 1 दिसंबर 2024

जाड़ा


अगहन पूस के जाड़ा।

कपकपा डरिस हाड़ा।

    सुरुज हा निचट घुरघुराय हे।

    रऊंनिया तको नइ जनाय हे।

    ये बबा हा जी गोरसी बारे हे। 

    गोरसी म छेना झिटी डारे हे।  

ये सकलाय हे पुरा पारा।                                 

जाड़ भगाय के हे जुगाड़ा।

अगहन पूस...............।

     लुवई टोरई के दिन आय हे।

     किसान के काम भदराय हे।

     खोजे नइ मिलत बनिहार हे।

     ये उपर ले मौसम के मार हे।

किसान फांदे हे गाड़ा।

लाय बर जात हे भारा। 

अगहन पूस............। 

    भुखहा तन हा कहा जड़ाय हे।

    पेट के आगी हा तो गरमाय हे।

    बादर पानी ले कहा डरराय हे।

    दिन-रात ओहा तो  कमाय हे।

नइ थकय ओखर हाड़ा।

चाहे घाम हो या जाड़ा।

     अगहन पूस के जाड़ा।

     कपकपा डरिस हाड़ा।

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        *चिन्ता राम धुर्वे*

     ग्राम-सिंगारपुर(पैलीमेटा)

     जिला-के.सी.जी.(छ.ग.)

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