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रविवार, 1 दिसंबर 2024

गरीबा

 गरीबा:-

एकठन गाँव म एकझन किसान राहय  जेकर नाव हे रमऊ। रमऊ के घरवाली रमशीला हे। दूनों झन के 3 झन लइका हे, राकेश, किशन , अउ गरीबा। गरीबा सबो झन ले छोटका भाई हरय। राकेश अउ किशन अड़बड़ हुसियार हे, इस्कूल म पढ़ई म सबले अघुवा रहिथे। एकरे सेती घर म दूनों झन मन ला रमऊ अउ रमशिला के लाड अउ दुलार ज्यादा मिलथे। सबले नान्हे भाई गरीबा के पढ़ई लिखई म ज्यादा धियान नई राहय। जब देखबे तब बस ओकर खेलई बुता। एकदम अपन सुध के चलइया लईका आए। कभू डंडा पचरंगा खेलत पेड़ म बेंदरा कस झुलत मिलय, त कभू गिल्ली डंडा, कभू बीस अमृत, कभू छु चूवउल, त कभू रेस्टिप खेलत काकरो घर होये तिहां खुसर जाय लुकाय बर। गरीबा ह घर म अड़बड़ गारी खाए, रमऊ अउ रमशिला के मुँहू ले बस एकेच ठोक गोठ ह निकलय। दिनभर छछालु कस घूमत रहिथस, एक्कन कापी पुस्तक डाहन तको कभू हिरक्के तो देखेकर। जतिक मान सम्मान, लाड़ दुलार दूनों बड़का भाई मन ल मिलय ओतेक मान सनमान गरीबा ल नई मिलय। दूनों बड़का भाई मन रमऊ ह बढ़िया पढ़ईस, आज दूनों झन मन बढ़िया सरकारी दफ्तर म बुता करथय। दूनों झन के पढ़ई लिखई बर खेत ल साहूकार कर  गिरवी तको रख दिस। राकेश अउ किशन दूनों भाई मन शहर म सेटल होगे। गरीबा ह बीच म अपन पढ़ई लिखई ल छोड़ दिस अउ खेती किसानी के बुता म करेबर लग गे। अउ अपन बाबू सन खेती किसानी के बुता म हाथ बटाय।

एक दिन रमऊ ह रमशिला ल कहिथे ए सुन तो वो बड़ दिन होगे राकेश अउ किशन ले मिले नई हंव। पहिली तिहार बार बर आए जाय फेर अब तिहार बार बर तको घर नई आवय। चल शहर म जाबोन राकेश अउ किशन ल मेल भेंट करेबर। मोर नाती नतनिन मन ले तको मिल लेबोन। हाव राकेश के बाबू तंय तो मोर मुंहू के गोठ ल नंगा लेव। रमऊ अउ रमशिला ह जब राकेश अउ किशन घर पहुंचिस त कोनो ह खुश नई होईस। राकेश अउ किशन के बाई ह तो मुंहू ल टेरगा करके भीतरी डाहन खुसर गे। एला देखके रमऊ अउ रमशिला के मुंहू ह उतर गे। फेर रमऊ अउ रमशिला ह अपन नाती नतनिन ल देखिस त इंकर अंतस ह हरिया गे। दू चार दिन ही नई होए रिहिस अऊ बहू मन ल इंकर मन बर खाना नास्ता बनई ह अब उपराहा बुता कस जनायेब धर लिस। राकेश अउ किशन ह जब अपन ड्यूटी ले घर आईस त दूनों झन कहि दिन, या तो तुमन अपन दाई बाबू ल चुनव या अपन बाई मन ल । एला अब तुही मन ल निरधारण करना हे। राकेश अउ किशन ह एक दिन ए मन ल घुमायेंब लेगे के बहाना म अपन संग म लेगिस अऊ बीच जंगल म उतार दिस अऊ किहीस बाबू ग हमन गाड़ी म पेट्रोल डरा के आवथन तुमन एक्कन अगोरा करहू। इंकर मन के अगोरा करत करत दिन ह बुड़ेब धर लिन। गरीबा ह तको सहर डाहन कुछु बुता ले आए रिहिस, तब रद्दा म अपन दाई बाबू ल दिखिस त अपन गाड़ी ल तुरते रोक दिस। अउ किहिस बाबू, माँ तुमन यहा बिहड़ जंगल म कईसे। तब रमऊ ह सबो बात ल लाईन  से बताईस। सबो बात ल बतात बातात रमऊ के आंखी ह डबडबा गे। गरीबा ह अपन बाबू अउ महतारी दाई के आँखी ल पोछत किहिस कि बड़े भईया मन सही मेंहा अइसने नई करंव बाबू मेंहा आपमन के शरवन बेटा कस सेवा जतन ल करहूँ। बेटा गरीबा ह आज सफल किसान हे। खेती किसानी म अड़बड़ मेहनत मजदूरी करके गरीबा ह आज एक सफल मनखे बन गे हावय। गरीबा ह सुघ्घर अपन दाई बाबू ल चारों धाम के यात्रा करइन। रमऊ अउ रमशिला जब चारों धाम के यात्रा करके लहुटत रिहिसे, तब रमऊ ह गरीबा ले किहिन जेन बेटा ल हमन नान्हे पन ले उदबिरिस समझत रेहेन, अउ जेन लईका ल ओतेक लाड दुलार दे नई पायेन। आज उही लईका ह आज हमर मन के सहारा बनिस अउ हमर मन के सुघ्घर सेवा जतन करत हे। अउ जेन लईका मन ल हमन होसियार समझत रेहेन, अड़बड़ लाड़ दुलार देत रेहेन, अउ जेन लईका ले हमन हमर बुढ़ापा के सहारा बनही केहे रेहेन उही लईका मन हमन ल बीच जंगल म छोड़ के भगा गे। सिरतोन म बेटा गरीबा तंय ह अपन सेवा भावना अउ अंतस हिरदे ले अतेक आमीर निकलेस रे, जेकर हमन बखान नई कर सकन। हमर दूनों झन के उमर ह  लग जातिस मोर शरवन बेटा गरीबा। अतेक बात ल सुनके गरीबा के आँखी ले आँसू निकलेब धर लिस गरीबा ह अपन दाई बाबू मन के गोड़ ल छुईस अउ गला लगके रोयेब धर लीस।



✍️✍️ गणेश्वर पटेल✍️✍️

ग्राम - पोटियाडिह 

जिला - धमतरी(छ ग)

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