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सोमवार, 23 दिसंबर 2024

विडंबना



गाँव गली मा बिकट मिलत हे मोल,

पानी पाउच,डिस्पोजल,चिकन,रोल!

तंत्र,मंत्र,यंत्र मा बोले बोली अनमोल,

ऊपर ले खाल्हे तक पूरा हावे झोल!!


एक डाहर दारू बंदी योजना चलात हे,

चुनाव दरी घर _घर पिए बर बलात हे!

सरकारी भट्टी ले कोचिया कर  कइसे,

पहुंचीस मोला समझ  नई  आवत हे!!


मतदानदरी अतेक पइसा,दारू,कपड़ा, 

कोन सागर मंथन ले निकल के आथे!

जम्मो पार्टी बाँटत _बाँटत थक जाथे, 

फेर फोकट वाले के कहां सुसी बुता थे!!


जात, धर्म, भाषा, फिरका, देवी देवता,

सबके बोली खुले आम इही लगा थे!

जांगर वाले मन चल देते अपन डेरा मा, 

अनपढ़ मन मुड़ धर के खूब पछता थे!!


गुटखा,बीड़ी, सिगरेट, शराब गांजा तम्बाकू,

तन मन धन ला लुट डरिन अलकहा डाकू!

समय राहत ले जाग जावव झन होवव बेकाबू,

जेन कोनो मोर बात मानही जरूर बढ़ी आगू!!


                       तुलेश्वर कुमार सेन 

                       सलोनी राजनांदगांव

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