एकठोक नानकुन गांव है। ए गांव ह बिहड़ जंगल के बीच म बसे हावय। न रोजगार के साधन, न बिजली, न सड़क, अउ न ही काकरो घर पक्की नइहे। तभो ले इंहा के निवासी मन ह हांसी सुखी ले अपन जिनगी व्यतित करत हावय। अइसने एक परिवार हावय सुकारू राम के। घर म डोकरा डोकरी अउ जवान लईका सुकारू। सुकारु के दाई ददा नइहे, सुकारू जब नान्हे लईका रिहिस तेन बेरा के एकर दाई ददा के देहावसान हो गे रिहिन। सुकारू घर के पाछू कोती के जमीन ल चातर करके सुघ्घर साग भाजी उगाए अउ ओ साग भाजी ल गाँव म म घूम घुमके बेचे अउ सुघ्घर अपन अउ अपन परिवार के लालन पोसन करत है। सुकारू के बबा ज्यादा सियनहा होगे रिहिन हे त कुछु बुता काम नई कर पाए, बस ओहा एकेच ठोक बुता म लगे राहय घर के राचर बनाय म, राचर ल हमन घर के सुक्छा घेरा हरय कही सकथन काबर घर के इही रूंधना (राचर) के सेती बाहिर के गाय-गरू, कुकर माकर, कुकर बिलई, अरहा बरहा जईसे अब्बड़ अकन जीव जंतु मन घर म घूस नई पाए। पहिली जमाना के घर म ए राचर अउ रुंधना के अब्बड़ महत्ता रिहिस हे। बबा के तबीयत कभू बने नई राहय त सुकारू ल काहय कि राचर के ओदे मुड़ा ह पोंडा होगे हे रे जा तो ओमा कुछु बाँस अउ ठोसहा लकड़ी ल बांध के ओ पोंड़ा ल सुधार देबे कहिके। सूकारू ल ए खेती बाढ़ी के बुता म असकटासी लागेब धर लिस खेती बाढ़ी म ओला ज्यादा आमदानी नई होवथे कहिके, बाहिर शहर चल दिन कमाय खाये बर। डोकरा डोकरी मन अब्बड़ मनइसे कि झन जा रे नाती बेटा शहर डाहर तंय ह चल देबे त हमर देखभाल कोन करही कहिके, फेर सुकारू ह ए कहिके कि में तो महीना महीना म आवत जावत रहूँ कहिके बाहिर शहर कोती कमाये खायेबर चल दिन। जब सुकारू घर मा राहय त रातकुन ओहा सुते के पहिली राचर के मुंही ह खुल्ला तो नइहे कहिके एकबेरा देख लेवय, रुँधना कभू भंग भंग ले खुल्ला राहय त ओला रूंध के सुत जावय।
एक दिन रतिहा कुन का राचर ह भंग भंग ले रिहिसे कि रूंधना ह बने नई रूंधाय नई रिहिस कि का ते जंगली सुवर जेन ल स्थानिय भाखा म बरहा कहिथे तेन ह खुसर गे डोकरी दाई ह देखिस त ओहा लउठी जल धर के ओला खेदारे के प्रयास करिस फेर उही
दर्मियान बरहा ह ओला घायल कर दिस, डोकरी दाई चिल्लाए बर लगगे ओला सुनके बबा ह लउठि धर के आइसे ओला भगाए के प्रयास करिन फेर उही प्रयास म डोकरा बबा तको घायल होगे। कुछ दिन बाद डोकरी दाई के देहांत होगे। अब डोकरा बबा अकेल्ला होगे अऊ अपन नाती सुकारू के सुरता करत हे, अउ काहत हे तंय ह संग म रहितेस रे त ए घटना ह नई होतिस। घायल होयेके बाद से डोकरा बबा के तबीयत तको सल्लग खराब होवेब लगगे। अब पहिली जइसन राचर के मरम्मत नई हो पात हे जबले सुकारू घर ले बाहिर गेहे। डोकरा बबा खटिया म सुते सुते घर के
राचर के हालात ल देखत हे, अउ सुकारू के सुरता करत मन म काहत हे कि तंय रहितेस त हमर घर के सुरक्छा घेरा हमर रूंधना हमर राचर ल बने बनातेस सुधारतेश् रे। सुकारु शहर म अइसे रच बस गे हे कि ओहा जबले घर के सुरक्छा घेरा रुन्धना, राचर ले बहिर निकले हे तबले एको बेरा अपन दाई बबा के आरो लेबर नई आहे। आज डोकरा बबा घर के टुटहा राचर ल देखत अपन नाती सुकारू के सुरता लमात हे।
✍️✍️ गणेश्वर पटेल ✍️✍️
ग्राम- पोटियाडीह
जिला- धमतरी( छ ग)
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