आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

बुधवार, 27 नवंबर 2024

गरुवा कइसे छेकाही



चार बोरी धान ला

कोनो चोरात पकड़ाही

त ओकर का हाल होही?

आन के खेत के धान उररत

पकड़ाही तेखर का हाल करहीं?

पाके धान ला,पेल के गरुवा

कोरी-कोरी दिन भर चरत हे

का करबे किसान?

ऐति ओती खेत

कए जगह ला घेरिन?

दिन रात चराई,

धान जागे ले,धान लुवात तक

चरत हे गाय बइला

नइहे कोनो उपाय?

ऐति खेद,ओती खेद

जी हा हलकान

कोन दिही 

सबले बड़े समस्या मा ध्यान

बड़े आदमी मन के मिल घर

रुँधाए भिथिया मा

उनला का हे मतलब

कतको बोई धान

होवत हे उजार

उत्पादन कइसे दिखही 

क्विंटल आँकड़ा मा

आधा ले जादा चर देत हे

आखिर कब तक चलही चराई

कब होही छेका

कागज मा बड़े-बड़े गोठ

कोन ला बताई अपन दुःख

कइसन हे कानून

अपने अपन कल्लात रही

आँखी के आघू 

गरुवा धान ला खात रही

अउ सड़क मा पगुरावत गरुवा

बोजात मनखे,पावत मउत

का कही रे....

राजकिशोर धिरही

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें