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शनिवार, 23 नवंबर 2024

रखिया बरी


उरिद दार मा रखिया डार।

खोंटत जावँय मिल परिवार।।

बाढ़े जब सब्जी के दाम।

आय बरी हा तभ्भे काम।।


बरी बनावव रखिया लान।

हे सब्जी मा येखर शान।।

छेवरनिन ला अब्बड़ भाय।

उपराहा जी भात खवाय।। 


राँधव आलू मुनगा डार।

सुग्घर झट ले भूँज बघार।।

सबके ये हा मन ललचाय।

पहुना मन के मान बढ़ाय।।


रहिथे रखिया गोल मटोल।

हावय भारी येखर मोल।।

बेंचावय गा हाट बजार।

ले आवव सब छाँट निमार।।



मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम-  चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

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