आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

शनिवार, 23 नवंबर 2024

झरझरहिन बहू



बेरा उवे के पहिली घर दुवार  अँगना म बिहनिया के खरहारा बाहरी के धुन मगन कर देथे l खरर खरर खरर... I 

बाहिर के कचरा के सफाई होथे 

बिहनिया ले उठ के पहली काम सेवती इही करथे l

गऊ कोठा के सफाई  गोबर कचरा घलो खरहारा  ले होथे खरर खरर के धुन बढ़िया लगथे बिहनिया बिहनिया l ए काम ल लछमी करथे l 

सेवा राम के दूनो बहू कमईलीन फेर सुभाव अलग अलग l घर भीतरी कलर कलर 

बात बात म  कोर कसर.. I 

सेवती गोठकाहरिन अउ लछमी फटकाहरीन l

सेवती के गोठ ला लछमी नई सुनय अउ लछमी के फटकार ल सेवती नई सह सकय l  एक दूसर के गोठ बात मिरचा के झार अस लगथे l 

सेवा राम के धर अइसने तना तनी म चलत हे l दूनो ला "झरझरहिन "कहय l बूता करत करत एक दिन लछमी के हाथ हंसिया म कटागे साग पउलत पउलत l

सेवती देख़त कहिस -" काला पऊलत  रहे  हाथ ला पउल डरे l" गोठ काहरीन  मन के आदत   लम्बा ओरियाके के सुनाना l फेर कहिथे -" कुंदरू गतर बर 

तोर चेत तो अन्ते तंते रहिथे l"

लछमी हाथ ला फटकारत -"

जतका के हाथ नई कटाये हे मोर झरझरावत हे,लहू मोर निकलत हे तोर का पिरावत हे l मोर डउका कुंदरू रहे अपन डउका ला देख जा बने कोहड़ा अस पेट ला निकालत हे बने भूंज भूंज के खवा l" दूनो झन के इही सब  पचंतर पटंतर

हटकार फटकार ला  सुन सेवा राम कहिथे -" ए का गोठ करथव बहू?

झार डरेव अन देखनी म मर गेव l पटपटही झरझरा बहू का मिलिस बात बात म ओखी खोखी ला खोजत रहिथव l कुंदरू कोहड़ा के भरोसा म तीन परोसा झेलत हव l मोर बेटा मन ला भुंजत पउलत हव l का सीख के आये हव अपन मइके ले?  मया देखाये ला छोड़ के  भड़भड़ाए म नीक आथे l "

सोनार के सौ घा लोहार के एका घा l सेवा राम ससुर के फटकार  ल सुन दूनो के होश आगे l


-मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें