" कोठी के धान ला मुसवा खाथे l रात के अंधियार म कसेली के दूध ला बिलई पीथे l मोर खीसा के चिल्लहर पइसा मोर टुरा के खाउ खाजेना मंगाई म सिरा जथे l टमड़ तमड़ के ख़ोज थंव l जतका मिलिस दे के भगवार देथँव,ले चल जा अब "मिलगे ना l"
अपने घर हे अपने कुरिया हे अपने लोग लइका हे l" धनऊ बतात रहिस l
छुट्टी के दिन रहिस l साफ सफाई अलमारी के करत रहेंव l एक पुस्तक मिलिस l पुस्तक के भीतरी म सब चिल्लहर नोट l उही पुस्तक म मोर स्व. बाबू जी अउ स्व. दाई (माँ )के फोटो घलो उही म दबे रहिस l सब नोट गंजावत रहीस l एक पन्ना घलो दबे मिलिस l ओमा ऊपर म लिखाये रहिस
1 "दादा जी प्रणाम,आज मिलिस 50 रु गुरुवार l
2 "दादी जी प्रणाम, आज मिलिस 30रु सोमवार l
3..5...40..50 l
अइसने क्रम से पढ़त गेंव
पचास तक हो गे रहिस l कागज म अतका अकन सकलागे l
पढ़त पढ़त मन भर गे l
मोर करजा उतर गे l
ऐ काम ला मोला करना चाही l माँ पिताजी के आघू म मुड़ी नव गे l
श्रद्धा भाव ले आँखी समुन्दर कस होय लागिस l हिम्मत नई होवत रहिस नोट ला गिने के l
जस के तस पुस्तक ला रख देंव l मोला पूरा मालूम होगे ए काम मोर बेटा टाकेश के हरे l
खाउ खाजेना नई खाके जमा करत हेl जमा घलो नहीं चढ़ावत हे देवता जान के l
जान के भी नई पूछेंव l अतेक श्रद्धा भाव के पीछू का कारण होही l
तीन महीना पुरगे l
स्कूल म कार्यक्रम होवत रहिस l उही बीच मोर बेटा के नाम आइस ओकर सम्मान खातिर l उद्घोषक कहत रहिस -" आपके बीच आपके साथी
टाकेश, पांचवी कक्षा का छात्र है अपने "खाउ खाजेना" के पैसो को जमा कर अपने दादा दादी की स्मृति में एक हजार एक रूपये दान स्वरूप
अपने दोस्त टीकम को दिया जो गरीब तो है परन्तु मेरिट में आता है उनकी आगे की पढ़ाई लिखाई को पूरा करने के लिए दिया है l
हम उनकी इस पुनीत कार्य की सराहना करते है l "
जब टाकेश ला पूछे गिस तोर मन म कइसे श्रद्धा भाव आगे अपन दादा दादी बर ?
बताथे ओहर -" बड़े बन के का करबे? सब इही मोर सो पूछय l अइसे काम कर तोर संगी साथी झन छुटे l
उंकर इही रद्दा म आघू पाँव रखेंव l
धनऊ के आँखी खुलगे l
सोच अउ संस्कार लइका म आगे एखर ले बड़े अउ कोनो धन काम नई आवय l धनऊ सोचे लागिस महूँ ला कुछ करना हे.. I
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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