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शनिवार, 2 नवंबर 2024

आधा अधूरा भागा के काज



बनगे छत्तीसगढ़ राज ,सब करें नाज।

फेर आधा अधूरा,भाखा के हे काज ।


चोबीस साल होगे, कई घ सवाल होगे।

कहत कहत थकेंन,कहे म लागे लाज।


अपन भाखा जेहर, दर्जा बर तरसे।

परके भाखा बन फिरे,हमर महराज।


कतको सभा होइस, कतको भाषन हे।

मुंह ताकत बइठे, छत्तीसगढ़ीया समाज।


आंखी म सबके झूले ,आठवीं अनुसूची।

भाखा ल मिल जातीस ,कहों एकर ताज।


सुरता करांव संगी,मन बात हर आगे।

भले मोर कविता पढ़इया,होवय नाराज।


गिरधारी लाल चौहान 

सक्ती छत्तीसगढ़

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