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रविवार, 10 नवंबर 2024

गांव



गाँव हमर अब्बड़ सुग्घर,

जिहाँ संस्कृति के डेरा।

छत्तीसगढ़ के जमों रंग ह,

दिखथे इहाँ हर बेरा।।


दाई-ददा अउ संगी जहुँरिया,

जमों के मिलथे मया दुलार।

सुग्घर सुग्घर खाई खजाना,

बेचाथे हमर गँवई बाजार।। 


खपरा खदर के छानही घर,

मनखे के अशियाना हे।

गाय गरुवा के सेवा करत,

मानव धरम निभाना हे।। 


तरिया नरवा के सुग्घर पानी,

किलोल करत छल छलावत हें।

रुख-रई प्रकृति ल देख,

चिरई मन कलरव सुनावत हें।। 


गली खोर के धुर्रा घलो,

चंदन बनके महके हे।

जमों दृश्य लगे सुहावन,

गाँव सरग के जइसे हे।। 


            *~ डॉ. मनोरमा चन्द्रा 'रमा'* 

                      *रायपुर (छ.ग.)*

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