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मंगलवार, 19 नवंबर 2024

सोन चिरैया बनबो

 *"सोन चिरईया बनाबो''*

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चलो सोन चिरईया बनाबो,

हमर छत्तीसगढ़ महतारी ल।

चलो सोन........

हरियर हरियर कर देबो,

भाठा टिकरा, खेती बारी ल।

चलो सोन.......

ये धरती ह सोन उगलथे,

जब बोहाथे एमा पसीना।

धुर्रा माटी ह अड़बड़ नोहर हे,

अनमोल हे जइसे कोई नगीना।

मेहनत के पाठ पढाबो,

सुकवारो अउ इतवारी ल।

चलो सोन.... .

नांगर ले लकीर ल खींच के,

टोर के रख देबो जम्मो परिया ल।

करमा ,ददरिया खार म गाके,

बला लेबो गिंदरत बादर करिया ल।

बोरा भर भर पैदा करबो ,

धान गहूँ अउ ओन्हारी ल।

चलो सोन.......

जम्मो खनिज संपदा  भरे हे,

मोर छत्तीसगढ़ ह खजाना ए।

जेखर परसादे भेलाई जइसन,

कतरो बड़े बड़े कारखाना हे।

देश दुनिया म सामान बेचे बर,

खूब बढाबो अब पैदावारी ल।

चलो सोन......

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रचना:-जीवन चन्द्राकर"लाल''

       गोरकापार, गुंडरदेही(छ.ग.)

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