*"सोन चिरईया बनाबो''*
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चलो सोन चिरईया बनाबो,
हमर छत्तीसगढ़ महतारी ल।
चलो सोन........
हरियर हरियर कर देबो,
भाठा टिकरा, खेती बारी ल।
चलो सोन.......
ये धरती ह सोन उगलथे,
जब बोहाथे एमा पसीना।
धुर्रा माटी ह अड़बड़ नोहर हे,
अनमोल हे जइसे कोई नगीना।
मेहनत के पाठ पढाबो,
सुकवारो अउ इतवारी ल।
चलो सोन.... .
नांगर ले लकीर ल खींच के,
टोर के रख देबो जम्मो परिया ल।
करमा ,ददरिया खार म गाके,
बला लेबो गिंदरत बादर करिया ल।
बोरा भर भर पैदा करबो ,
धान गहूँ अउ ओन्हारी ल।
चलो सोन.......
जम्मो खनिज संपदा भरे हे,
मोर छत्तीसगढ़ ह खजाना ए।
जेखर परसादे भेलाई जइसन,
कतरो बड़े बड़े कारखाना हे।
देश दुनिया म सामान बेचे बर,
खूब बढाबो अब पैदावारी ल।
चलो सोन......
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रचना:-जीवन चन्द्राकर"लाल''
गोरकापार, गुंडरदेही(छ.ग.)
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