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मंगलवार, 19 नवंबर 2024

मेरे देश की माटी

 मेरे देश की मिट्टी (अतुकांत कविता)



जिस मिट्टी पे जन्म लिए थे,

सरदार भगत, आजाद जी ।

नित मैं अब गुणगान करूँ,

मेरे देश की मिट्टी की ।।


खेले खुदे इसी मिट्टी में,

गौतम बुद्ध, बाबा साहेब ।

चंदन जैसा पावन हो गया,

इनकी चरणों की घुली से ।।


प्राण त्याग दिए जो अपने,

मिट्टी की आन की खातिर ।

नित जय जयगान करूँ,

मेरे देश की मिट्टी की ।।


मेरे देश की मिट्टी उगले,

कोयला, सोना, चाँदी ।

इसके गर्भ में छुपा खजाना,

खनिज सम्पदा भरभर देती ।।


पर्वत, पठार है खड़े अविचल,

सरिता कल-कल बहती सदा ।

महक सौंधी-सौंधी सी फैली,

मेरे देश की मिट्टी की ।।


लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती,

युद्ध में अपनी सर कटा दी ।

वीरांगनाओं की इस भूमि को,

बारम्बार है नमन वंदन ।।


जननी से भी बढ़कर है मिट्टी,

अपनी गोद में रखे सम्भाल ।

वर्णन कर कलम थक गयी,

मेरे देश की मिट्टी की ।।



मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम, चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

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