मेरे देश की मिट्टी (अतुकांत कविता)
जिस मिट्टी पे जन्म लिए थे,
सरदार भगत, आजाद जी ।
नित मैं अब गुणगान करूँ,
मेरे देश की मिट्टी की ।।
खेले खुदे इसी मिट्टी में,
गौतम बुद्ध, बाबा साहेब ।
चंदन जैसा पावन हो गया,
इनकी चरणों की घुली से ।।
प्राण त्याग दिए जो अपने,
मिट्टी की आन की खातिर ।
नित जय जयगान करूँ,
मेरे देश की मिट्टी की ।।
मेरे देश की मिट्टी उगले,
कोयला, सोना, चाँदी ।
इसके गर्भ में छुपा खजाना,
खनिज सम्पदा भरभर देती ।।
पर्वत, पठार है खड़े अविचल,
सरिता कल-कल बहती सदा ।
महक सौंधी-सौंधी सी फैली,
मेरे देश की मिट्टी की ।।
लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती,
युद्ध में अपनी सर कटा दी ।
वीरांगनाओं की इस भूमि को,
बारम्बार है नमन वंदन ।।
जननी से भी बढ़कर है मिट्टी,
अपनी गोद में रखे सम्भाल ।
वर्णन कर कलम थक गयी,
मेरे देश की मिट्टी की ।।
मुकेश उइके "मयारू"
ग्राम, चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)
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