सिरिवास
खड़बिड़खइया ल सुनके गुने "अतेक सुन्ना रद्दा मं कईसे अवाज़ आइस "धरारपटा गेंहे तं देखें गाँ के नऊ हं कउहा के डारा मं फांसी ओरमे छटपटात रहे "ए ददा रे!!!!! पहिली जी धक ले करिस |ओकर आँखी ह बटरावत रहे हाथ गोड़ ल जान छूटे के पीरा मं छटपटात रहे अउ पचहत्थी मं किसाप कर डारे रहे,मोला सुरता अईस गुड़ी मं परऊ बईगा कहे रिस "जब कोनो ओरमत दिखे त ओला तरपौरी ल धर के उठा के बचाय के कोसिस करो अउ धीरे कस सरफांसी ल ढीला के उतारे के उधिम करा चऊर रही त बांच जाहि "मैं हं ओसने करें ,जी मोरो डरावत रिस हे थाना कछेरी होही... फ़लाना फ़लाना अचड़ा पचड़ा,फेर जम्मो गोठ ल टार के ओला बंचाय के उधिम करें |भगवान के किरपा रिस ओला उतरें अउ खेत के मेड़ मं सुतांय झट के बोर ले पानी ला के पिंयाय,चीटिक बेर मं ओला होस आईस, मोला आघू मं देख के कहिस -"काबर बंचाय भईया ओरम के मरन काबा नी देहे अब जिनगी मं का धरे हे मोर कोनो नी ए ग, न पहिली सही सेलून मं कमई होय ओखर ऊपर तीन तीन झन बाड़हे बेटी त मरे के सिवा अउ का चारा हे "मैं कहें -चुप असना नी कहे बुजा जीवन ले लड़े जाथे तोला असना हिम्मत हार के करत देख के बड़ गुस्सा अइस तभो तोला बंचाय ऐहा मोर धरम रिस हे,बात कमई के ओहर कमती जादा होत रथे जी असना जमो सोचतीस त आज संसार सुन्ना रतिस
"एक चीज अउ बता? ते हं असने कर लेते ल तोर परिवार के का दूरगत होतिस का माथे जिसतिस
"त मैं का करते संसार मोला सुन्ना लागिस "
मैं ओला फेर कहें -"तोर सरनेम सिरीवास असने नी ए सिरी के अरथ होथे लछमी अउ लछमी धन माने अउ वास माने होथे बसेरा एकर मतलब जेकर घर धन के डेरा रहे बसेरा रहे ओहर सिरीवास ए, देख कोनो सिरीवास हं मन लगा हे कमाही त ईमान के कहत हं ओहर नऊकरिहा ले जादा कमाही अउ सुख के रही जा के देख कोरबा मं तुंहर सगा मन ल कार मं किन्दरथे अउ लेंटर के घर मं रथे "
-"तै ए बात ल काबा नी सोचे फेर थोड़ा धंधा मं धीरज रखना चाही दीनू सियान मन कहें हे -धीर मं खीर हे, थोकन धीरज धर समय बदलहि ग तोरो दिन आही भरोसा कर अपन सरनेम ल सार्थक कर ग असने बिरथा मत जान दे
दीनू कलेचुप मोर गोठ ल सुनके मोला पहिली पोटार के रोइस अउ कहिस -"भईया आज तै हं मोर आँखी ल खोल देहे सही मं मोर आज के करनी ह मोर निर्बलता ल दरसात हे मैं अब असना करनी नी करा तोला बचन देत हं फेर तहूँ ह मोला वचन दे आज के घटना ल कहूं ल झन बताबे सब मोर ऊपर थूकहि
मैं कहें -एक सरत मं -"तै हं सिरीवास नाव ल सार्थक करके बातबे मोला बड़ खुसी होही "
दीनू ह कहिस "भईया मै गऊकी कहत हं असने कर के देखाहं अउ कायर सही असना कदम सपना नी उठावा "
अभी थोर बेरा पहिली के मुरझाया चेहरा मं चमक आगे पनियाय आँखी ह बतइस आज ओला सिरीवास के मतलब पता चलगे अब ओहा लछमी ल अपन घर मं सदा के लिए बईठार के मानही
प्रभात कुमार शर्मा
कोरबा नगर (छ. ग. )
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