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सबों मान डारेन दिवाली तिहार
अब खेत खार ल तो जी निहार।
हरहून धान लूवे बर होगे तियार
हसीयामन ल कर लेवा जी धार।
हसीया ल लोहार सो फरगवा ले
बढ़िया तलवार कस धार कराले।
पैरा के ग सुन्दर डोरी ल बरवाले
चाहे त पूरी बांधें ब जूमा बनाले।
गाड़ा पिढ़हा के चक्का ल भारले
अपन गाड़ा म नवा खूंटा गाड़ ले।
गाड़ा पिढ़हा ल बढ़िया सुधार लें
गाड़ा भैंइसा किसान के अधार हे।
हार्वेस्टर म तो अबड़ धान झर थे
अदर कचर धान ह लूवाबे कर थे।
पैरा ल डोहारे बर अलग तो परथे
हाथ म लूऐ ले चार के बनी चलथे।
चार महिना के तो खेती- किसानी
हाथ म करबे त हे अबड़ परेशानी।
ख़ून पसीना ह बनके बोहाथे पानी
किसान ले चलथे सबके जिंदगानी।
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✍️ ईश्वर "भास्कर"/ग्राम-किरारी।
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