देवारी,मातर अउ भाईदूज मनागे।
कार्तिक-एकादशी जेठउनी आगे।
घरों-घर तुलसी चांवरा ल सजाय।
कुसियार के डंगाल ले मड़वा छाय।
तुलसी महारानी ल सुग्घर सजाय।
ये सालिग्राम संग म बिहाव रचाय।
रंग-रंग के सुग्घर पकवान बनाय।
तुलसी सालिग्राम ल भोग लगाय।
कोनों गऊ माता ल सोहई बंधाय।
ये सोहई बंधवाके खिचरी खवाय।
सब लोगन रहय एकादशी उपास।
सदा रहय घर म तुलसी माई वास।
इही दिन हा जी देवउठनी कहाय।
ये सब्बो देव कारज सुरु हो जाय।
कोनों मन सोचे कारज ल मड़हाय।
कोनों बर-बिहाव के लगिन धराय।
*******************************
*चिन्ता राम धुर्वे*
ग्राम-सिंगारपुर(पैलीमेटा)
जिला-के.सी.जी(छ.ग.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें