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शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

एक दीप उनके लिए


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एक दीप उनके लिए-

जो मातृभूमि की रक्षा हेतु, 

सीने पर गोली खाते हैं|

अपना तन-मन अर्पित कर, 

माटी का कर्ज चुकाते हैं||


एक दीप उनके लिए-

जो अपने अथक परिश्रम से, 

वसुधा को उर्वर बनाते हैं||

अपना खून पसीना बहाकर, 

जो सबको अन्न खिलाते हैं||


एक दीप उनके लिए-

जो तम की अमावस रातों को, 

चीरकर नया सबेरा लाते हैं|

जो अंधकार में रहते हुए, 

औरों का घर जगमगाते हैं||


एक दीप उनके लिए-

जिनके छत्र छाया में नित, 

ज्ञान का दीपक जलता है|

वर्तमान का नौनिहाल और, 

भविष्य का युवा पलता है||


एक दीप उनके लिए-

जो परहित खातिर मरता है, 

जो परहित खातिर जीता है|

जिनके कर्म रामायण जैसी, 

आँसू बनकर बहती गीता है||


रचनाकार:-श्रवण कुमार साहू, "प्रखर"

शिक्षक/साहित्यकार, राजिम, गरियाबंद (छ.ग.)

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