देवारी परब---- शंकर छंद
राखव घर ला लीप पोत के, परब हावय खास।
घर- घर आही लछमी दाई, पुरन होही आस।।
खोर-गली के करव सफाई, चउँक सुग्घर साज।
सुख सुम्मत धर संगे आही, बनाही सब काज।।
बनही घर-घर लड्डू मेवा, खीर अउ पकवान।
ध्यान लगाके पूजा करिहव, मिलय जी वरदान।।
धन दौलत ले कोठी भरही, लगाही भव पार।
देवारी के परब मनावव, होय जगमग द्वार।।
नरियर-फूल चढ़ावव संगी, जोर दूनों हाथ।
किरपा करही लछमी दाई, नवावव जी माथ।।
लाही जग मा उजियारी ला, भगाही अंधियार।
जम्मों जुरमिल खुशी मनावव, आय पावन वार।।
मुकेश उइके 'मयारू'
ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)
मो.नं.- 8966095681
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