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गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

कब तक किसने लिखबो


कब तक ले लिखबो लिखरी

चूक-चूक ले हे माला-फुंदरी,

बहूँटा भर-भर हे सुघ्घर चुरी

मुड़ म पागा उप्पर हे खुमरी !


चटनी-बासी,आमा के अथान

तिवरा, चेच, पटुवा के बखान ,

डंवर  अउ  गुरमटिया के धान

मोर कुंदरा ल महल तँय जान !


गुलगुल भजिया,चाँउर चीला

हम  आवन  किसनहा  पिला ,

काहत हँव मँय बात सहीं ला

छकत हम खाथन माईपिला !


ये  सुत उठ के  बड़े बिहनिया

खेत जाथन जी धर के पनिया,

धरती  के हम  हन जी गुनिया

ठाड़ बेरा  बासी  लाथे पुनिया !


नांगर-बइला हे जी हमर परान

हम सङ्गी ये भूंईंयाँ के भगवान,

छत्तीस गढ़िया  सबले  बढ़िया

जय जवान,जय-जय किसान !


कब तक अइसन गीत ल गाबो

हम कमाथन  अउ मुहूँ लमाबो,

अपन कमई के दाम कब पाबो

उँखर मुहूँ म तारा कब लगाबो !


       -- *राजकुमार 'मसखरे'*

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