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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

लूट रही हरियाली धरती की

 एक आवाज हसदेव के लिए


जंगल की कटाई (हसदेव वन) 



लूट रही धरती की हरियाली,

प्रकृति की सुंदरता निराली।

चंद रुपयों में बिक गए सारे,

कहाँ मिलेगी उनको खुशहाली।।


बिखर रहा पंछियों का बसेरा,

बन बैठे हैं शिकारी सँपेरा।

तरस खाओ उन बेजुबानों पर,

बनाओ कभी ना मौत का घेरा।।


जल जंगल है जीवन दाता,

धरती में बारिश है लाता।

कटने ना दो पेड़-पौधों को,

ऑक्सीजन दे प्राण बचाता।।


रोको अब जंगल की कटाई,

होगी तभी हम सब की भलाई।

कोपित होगी इक दिन प्रकृति,

करनी पड़ेगी इसकी भरपाई।।


घुलेगी प्रकृति में गैस विषैली,

नदी-नाले की पानी होगी मैली।

फिर वन संरक्षण के खातिर,

दिखावे के लिए होगी महारैली।।



मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

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