का छपे हे खबर कुछ नवा आज के।
का हमर बर लिखे हे बने काम के।
रोज फोटू रथे चार पन्ना भितर।
हे बधाई जनम दिन मा परधान के।
चार हत्या यअनाचार यचउदा रथे।
रैली भगदड़ छपे हे इँकर नाम के।
मीडिया ला घलो लोक प्रहरी कथे।
फेर चमचा बने हे वो सरकार के।
सच लिखावे नही झूठ बड़का छपे।
नइ परे अब ठसा रे इँकर बात के।
खेत उजरत भुँजे घर लिखे तक नहीं।
भूख रोटी जुगासन कटे हाथ के।
चीर के "रौना" भजिया लपेटत रथे।
अब तो अखबार आथे इही काम के।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
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