*मोर मयारू*
का जुलुम कर डरेंव रानी
बात अपन दिल के बता के!
गोठियावत रहस मोर सन
का मिलिस बताना सता के!!
मोर मया ला तैं नइ समझे
चल देस तैं रिस्ता तोड़ के!
काबर बइहा बनाये ओ
बीच रद्दा मा संग छोड़ के!!
करत रहिथों तोर अगोरा
देखथों आँखी गड़िया के!
कभू मिल जातेस अकेला
माफी माँगहूँ मड़ियाके!!
बन जातेंव तुलसी चौरा
रोज मुलाकात हो जातिस!
देख लेतेंव मन भर वो ला
जब दिया बारे बर वो आतिस!!
तुलेश्वर कुमार सेन
सलोनी राजनांदगांव
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