नानकुन कहिनी
" थेगा "
" खाँसत खाँसत पंचम गौटिया अपन डोकरी ला उठाइस - " उठना वो, पड़की l"
पड़की असल म ओकर नाम परेम बती आय l मया म पड़की धरागे l
सुन के पड़की उठिस अउ पूछिस -" का होगे तेमा? "
"पानी तिपो के देना, साँस लेवत नई बनत हे l खांसी मोर बर फाँसी होगे l "
" तोला के घा होगे कहत अदरक तुलसी ल खाये कर l "
बिन माटी तेल के लकड़ी नई जलय l छेना घलो सिता गे हे l"
" लेना कागज मागज ले जला ले l"
"सुन ना सरसो तेल ला घलो गरम कर के देबे l चुपर लुंहू अउ काली मारीच ल चूस लुंहू l"
पड़की पानी गरम करथे l अंगेठी ला फूँक फूँक के l
आँखी ला रमजत पानी ला के देथे l
" पड़की तोला सुते म उठाथंव
मोला खुद बने नई लगय l"
"तोर सेवा करे बिना मोला कहाँ बने लागथे वो, दे थोकिन तेल लगाके सार देथँव l"
" ले सार दे l जब ले मोर संग धरे हस सरई बूता करत हस l"
" जिनगी तो दूनो एक होके जीबो l तोर दुःख मोरे दुःख ताय l"
" त तोला तो सुख नई मिलत हे l"
"तीर म हँव मया मिलत हे मनले इही तो सुख हे l"
"कतको तो भगा देथे, दूसर ले आथे, मोर थेगा मोर सहारा नई हे कहिके l"
"पड़की सही म ऊपर वाले हमर से नराज हे का? "
" हमन तो ऊपर वाले से नराज नई अन ना!"
दे बर होही त दिही आघू पीछू ले l"
ले अब अराम कर ले l
"पेल ढपेल के जिनगी ला इंहा तक जी डरेन l देखत हन पड़की, लोग लइका वाले मन ला l
उंकर तो मरे बिहान हे, न जी सकत हे न मर सकत हे l न डउकी काम आवत हे न लइका l"
"लोग लइका थेगा होथे, मै तो निपुत्री बाँझ होगेंव l"
"पड़की, झन काह ना अब l"
परेम बती के अंतस ले निकलत दुःख ला कइसे रोक पाही बिन बोले l पंचम घलो जानत रिहिस पड़की के दुःख ला l मन ला सम्बोध कर कर के राखे रहिस l "
बिहनिया ककरो बर दू आगर शुभ होके होथे l दूनो बर थेगा के गोठ बुटु कका आके बताथे -
" पंचम मोर बात ला मान बे त गोठियाहूँ l "
"बताना कका का बात ए l"
एक झन सगा बताइस ग " कुमार अउ राजो खतम होगे हे ओकर एके झन लइका हे अउ कोनो नइये l कोनो गोद ले लेतीस त... I"
" तुंहरो कोनो नइये थेगा हो जतिस बने l"
पंचम कहिस -" बात तो सही हे कका फेर परेम बती ला पूछ लंव l "
परेम बती के मति भगवान कोती -" देवकी के कोंख ले जसोदा के गोदी म खेले
अउ जग ला माया म भूलवारे ओकर पार ला कोन नई पा सकीस l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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