छत्तीसगढ़ी गजल
सुख अपन खातिर इहाँ कतका सकेले तँय बता?
हे लपेटे दुख तउन ला का पँजेले तँय बता ?
कोन पूछत हे उमर के ये उतारू बेर मा?
कोन हर सहुँरात हे जाँगर खँगे ले तँय बता.?
मन बचन तो साफ नइये पाप हिरदे मा बसे।
लाभ का हे राम के माला जपे ले तँय बता?
रासियत बर हे लड़ाई बाप भाई लड़ मरे।
का नफा हे मार के खुद के मरे ले तँय बता?
तंग हे ये जिन्दगानी घर सजे ना घाट हर।
का बहुरही दिन हमर दुनिया सजे ले तँय बता?
देश दुनिया घर फँसे हे काल के चकरी भितर।
बाँचही का जंग के रचना रचे ले तँय बता?
बिन बलाए भात "रौना" माँदी के खाये नहीं।
का कभू आदर करत राचर ढकेले तँय बता?
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
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