लघु कथा -
" आ सगा गोठिया सगा "
" जइसे मईया लिये दिये
तइसे देबो असीसे
अन्न धन ले तुंहर घर भरे
जुग जिओ लाख बरिसे "
"देवारी आवत हे "ले सुन ले l इहाँ मुश्किल होवत हे जीना, दू चार साल का, दू दिन भारी लगत हे l जीवराखन अपन पीरा ल मनराखन करा बतावत रहिसl मनराखन पूछिस -"काबर अतेक हताश होवत हस?"
" जुग बदल गेहे, दूर के ढ़ोल सुहावन हे तीर ले सुन कान बोजा जाही l "
" ले बता त फेर मोर कान म "
जीवराखन बताइस -"नोनी बर सगा आथे देखे बर l पत्रिका ल देख के पता पूछत आयेन हन कइथे l बात चित होथे l पूछा पाछी होथे l ले बतावत हन कहिके चल देथे l नई जमींस रिस्ता ह l"
मनराखन पूछिस कारन का हे? बताइस होही l"
"दस कारन गिना देथे l काला बताबे? सगा मन के बात निराला l " लड़की वाले अन सुन लेथन l सगा मन के मेछा नई हे फेर ऐंठत रहिथे l काला देख थे ते? समझ ले बाहिर जी l
" अपन भासा म नई कहेस? "
" पत्रिका ल धरे धरे किंजरत हे समझ ला पुतकी म राखे हे l"
रिस्ता कभू नई जुड़य अइसन म l लड़का के उमर लड़की के उमर अइसने बढ़त जाही l रंग रूप कद काठी, गौत्र सोत्र लिखई पढ़ाई, काम काज, घर दुवार,खान पान, आँखी कान, मुड़ गोड़ सब ला देखे जाने सुने के बाद गुन आचरण म अटक जथे l लकठा धुरिया के नता गोता उहू मिल जाथे तभो ले l
'नई जमत सगा " कहिथे इही म बात खटक जाथे l
मन राखन कइथे -" लड़का लड़की के आपस म बात चीत नई होइस l "
"उहू होइस l नोनी ल पूछेन कइसे ठीक हे? उहू गुनमूना दीस l लड़का ल पूछेन चेथी ला खजवा दीस पूछ के बताहूँ l
अपन बर देखत हे अउ काला पूछही ते l "
करन तो करन का जबरदस्ती के काम नोहय l दिन निकलत हे देवारी आवत हे जावत हे फेर आगे देवारी l नोनी बर फेर सगा आही रद्दा ला देखत हन l
फेर पूछही नोनी तोर उमर कतका हे? बिहाव होये के बाद का करबे? संग में रहू कि अलग अलग? अउ कोनो तोर यार दोस्त तो नइये हे? जइसन रहिथन ओइसने रहे ला पड़ही l
नोनी के उमर अब चालीस होगे l ले अब का करबे?
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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