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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

ज इसन करनी,त इसन भरनी

 लघुकथा


                *जइसन करनी तइसन भरनी*


          आज तो देवलोक मा गदर मात गे हावय। बुता मा गये देवता मन देवराज के बुलावा मा अपन-अपन वाहन मा सवार होके देवलोक पहुँचे लागिन। आज तो देवलोक मा ट्राफिक जाम असन हो गे हावय। सबो देवता मन के पहुँचे के बाद जानबा होइस कि एसो शरद पुन्नी के दिन अमरित बरसे तसमई खाए ले बहुतेरे मनखे मन के तबियत बिगड़े लागिस हे कतको झन ला तो अस्पताल मा तक भर्ती करे बर परिस हे। बने असन जाँच-पड़ताल होइस तेमा ये कंफर्मेशन होइस कि जतेक मनखे के तबियत बिगड़े हे; ते शरद पुन्नी के तसमई खाए ले ही बिगड़े हे। 

          सबो देेवतामन आँखी टरेर के चन्द्रदेव कोती देखे बर लागिन काबर अमरित बरसाए के तो मेन बुता चन्द्रदेव के ही रहिथे। चन्द्रदेव अपन सफई दिस कि ओखर अमरित बरसई मा कोनो भी प्रकार ले कमी नइ रिहिस। ये बात के जब जाँच कराए गिस ता वहू हा सही होइस। आखिर मा जब बने ढंग ले जाँच होइस ता असल कारण सामने आइस।

          चन्द्रदेव हा तो अमरित ला बने ढंग ले अउ बने बेरा मा बरसाइस हे, मेन कारण मनखे ही हरे। जब सरी जंगल ला चातर कर डारही, खेती मा मरे-जियत ले रासायनिक खातू अउ दवई डारही, जहर उछरत कारखाना लगाही, भुइँया ला खन-खन के कोड़िया डारही तब अइसने मा ठेंगवा अमरित बरसही। धरती ते धरती मनखे हा अंतरिक्ष ला तको अपन दलिदरी ले पाट डारे हे। अपन सुविधा बर सेटेलाइट छोड़त हे अउ वो सेटेलाइट के कचरामन ला अंतरिक्ष मा ही छोड़ देही ता का होही।

          आजकल धरम के नांव मा बाढ़े पाखण्ड हा अउ आगी मा घीव डारे के बुता करत हे। फटाका नइ फोड़ही, डीजे नइ बाजही ता धरम खतरा मा पड़ जाही। अब जब अइसन मा अमरित बरसही घलो ता वहू हा धरती मा पहुँचत जहर बनबेच करही। बइठका के आखिरी मा सबो देवतामन एके सुर मा किहिन ‘‘जइसन करनी तइसन भरनी।’’


तसमई = खीर



                  दिलीप कुमार निषाद

                          दुर्ग

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