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सोमवार, 14 अक्टूबर 2024

बिकास के रद्दा म

 *बिकास के रद्दा मं*


चापलूसी मं महुँ रोज चोंच 

डुबाये रहितेंव ।

इमान के रोटी छोड़ झूठ के मलई खाये रहितेंव ।।

झूठ लबारी ल हाँ जी हांँ जी कहे रहितेंव ।

तभे बिकास के रद्दा मं महूँ आघू रहे रहितेंव ।।



गजब मजा उड़ातेंव बड़का लबारी बोल के ।

अपन झोली भरतेंव खूब झोल-झोल के ।।

पांँच ल पच्चीस दस ल सौ कहे रहितेंव ।

तब बिकास के रद्दा मं महूँ आघू रहे रहितेंव ।।


संझा-बिहनिया रात-दिन फोकट तलवा चांटतेंव ।

हर मउका मं हार धरे साहब के आघू-आघू नांचतेंव।।

घूस लेना अउ हक मरई ल धरम कहे रहितेंव ।

तब बिकास के रद्दा मं महूँ आघू रहे रहितेंव ।।


कच्चा नेवान मं कोनो पक्का घर नइ बनाय ।

चापलूसी करईया कखरो भाग नइ जगाय ।।

ये नीत अउ नियाव के पाठ नइ पढ़ें रहितेंव ।

तब बिकास के रद्दा मं महूँ आघू रहे रहितेंव ।।


                          दूजराम साहू*अनन्य*

                      निवास- भरदाकला (खैरागढ़)

                      जिला --खैरागढ़ छुईखदान गंडई

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