काम बूता हर बढ़गे हावय भारी।
लीपा बाहरा ग अपन घर दूवारी
बूता काम म थक जाथे महतारी।।
ढेला माटी के खनाई म हाथ मा
ओमन के फोरा हर तो पर गे हे।
माटी गोटी करे के बेरा म तो जी
गोड़ म बमरी कांटा हर गड़ गेहे।।
घर के लिपाई पोताई म हाथ ल
चूना हर तो बड़ चरत जावत हे।
भात साग ला खाय पीये के बेरा
हाथ हर अबड़ तो भरभरावत हे।।
घर के सबो समान मन ला टार
टार के जमाई म देंह हर थकगे।
ए साल के दिवाली के जी काम
बूता मा मोर महतारी हर भजगे।।
माईलोगन मन कतको बूता ला
करय कहूं उकर गुन नई मानय।
हरेक घर के डौउका,लइका मन
माईलोगन मन ल ग चिल्लावय।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
✍️ईश्वर"भास्कर"/ग्राम-किरारी।अब अवइया हावय जी दिवाली
काम बूता हर बढ़गे हावय भारी।
लीपा बाहरा ग अपन घर दूवारी
बूता काम म थक जाथे महतारी।।
ढेला माटी के खनाई म हाथ मा
ओमन के फोरा हर तो पर गे हे।
माटी गोटी करे के बेरा म तो जी
गोड़ म बमरी कांटा हर गड़ गेहे।।
घर के लिपाई पोताई म हाथ ल
चूना हर तो बड़ चरत जावत हे।
भात साग ला खाय पीये के बेरा
हाथ हर अबड़ तो भरभरावत हे।।
घर के सबो समान मन ला टार
टार के जमाई म देंह हर थकगे।
ए साल के दिवाली के जी काम
बूता मा मोर महतारी हर भजगे।।
माईलोगन मन कतको बूता ला
करय कहूं उकर गुन नई मानय।
हरेक घर के डौउका,लइका मन
माईलोगन मन ल ग चिल्लावय।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
✍️ईश्वर"भास्कर"/ग्राम-किरारी।
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