डिग्री,डिप्लोमा के इज्जत
बीएससी नर्सिंग,बीई,
कतको डिप्लोमाधारी
कम पैसा मा करथे नौकरी
तन मन मा भर गुस्सा के आरी
दस बारह हजार तनखा नर्सिंग वाले ला
लटपट देथे मालिक अस्पताल
अपन मन सब पैसा ला धरथे
कइसन हे उँखर चाल
डिप्लोमा वाले मन
अड़बड़ पैसा दे के पढ़थे
ठेकेदार करथे शोषण
तन मा आगी हा बरथे
आईटीआई वाले मन
अप्रेंटिस करके कमाथे
पूरा होत अप्रेंटिस
झट ले निकाले जाथे
काम चलावत हे बेरोजगार करा
शोषन हावय जारी
कम पैसा दे बुता कराथे
शॉपिंग मॉल तको भारी
बीएड डीएड वाले पढ़इया
प्राइवेट मा पढ़ाथे
सात आठ हजार देथे तनखा
अपन मन गाड़ा-गाड़ा कमाथे
सरकारी करमचारी के तनखा बढ़थे
प्रायवेट वाले दुःख पाथे
लटपट चलथे रोजी रोटी
ईंखर बर काखर ध्यान जाथे?
नीजि संस्था मा नइये आरक्षण
अपने सगा पहिचान ला रखथे
असमानता बाढ़त रहिथे
काम करइया गारी तक सहिथे
गार्ड बपरा मन खड़े-खड़े
करत रहिथे चौकीदारी
पेट भरे बर सहिथे दुःख
बारह घण्टा बुता हे अत्याचारी
दूकान के नौकर मन ला
रे बे मा सेठ गोठियाथे
मनखे मनखे सो
जानवर कस अंटियाथे
ड्राइवर के थोरकुन गलती मा
गारी मा जनता गोठियाथे
लाग दिस तिंहा ले
बेरहमी मन ठठाथे
राजकिशोर धिरही
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें