देवी जी,
आप बडी देर से दिवार से लगकर उदास-उदास खडी हैं। अच्छा तो स्टैनो हैं आप ?
आपका बास आपसे खुश नहीं है। आपके लिए मैंने यह कोमल मुखौटा विशेष रूप से
बनवाया है। इसे ओढ़ लीजिए। बास से हंस-हंस कर बात कीजिए। यदि वह आफिस टाईम
के बाद भी रूकने लिए कहे तो अवश्य रूकिए। उस समय यह कोमल मुखौटा आपकी बहुत
सहायता करेगा। यदि डिक्टेशन देते वक्त बास की उंगलियां आपके शरीर पर फिसलने
लगें तो यह मुखौटा आपके काम आयेगा। दिल में कैसे भी गुबार उठते हों इस
मुखौटे से लचीली मुस्कराहट और कातिल अदा ही बाहर आएगी। बास आपकी मुट्ठी में
रहेगा। तरक्की के साथ-साथ खाना और पिक्चर फ्री। आने-जाने के लिए बास की
कार आपका इंतज़ार करेगी। हर तरफ आपकी तूती बोलेगी। लक्ष्मी आपके कदमों में
डोलेगी। आजमा कर देख लीजिए। बात गलत निकलने पर दाम वापिस।
नेताओं
के लिए तो मैंने स्पैशल आर्डर देकर मुखौटे बनवाये हैं। प्रत्येक समय के
लिए अलग-अलग मुखौटे। जब वोट लेने जाना हो तो हल्का मुखौटा लटका लीजिए। गधे
को पापा और गधी को मम्मी कहिए। प्यार, गुस्सा, डर, धन हर प्रकार का सिक्का
चलाईये। यदि बीवी या बेटी भी दांव पर लगानी पडे तो उससे भी न चूकिए। मंत्री
बनने के बाद कई बीवियां मिल जायंगी। फिर बेटियों की क्या कमी रहेगी।
सीट
मिलने के बाद यह भारी मुखौटा आपके चेहरे पर फिट हो जायगा। यदि किसी काम के
लिए ना कहनी हो तो शायद कहिए। जहां शायद कहने की जरूरत आन पडे तो हां कह
दीजिए। याद रखिए ना कहने वालों की गिनती राजनेताओं में नहीं होती। यह दाईं
ओर वाले सारे मुखौटे मैंने नेताओं के लिए ही बनवाए हैं। वक्त की नज़ाकत को
देखकर मुखौटा बदल लीजिए। जीवन भर कुर्सी आपका दामन नहीं छोडेगी। लक्ष्मी
कभी मुख नहीं मोडेगी।
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हां श्रीमान जी, आपकी किस चीज़ की दुकान है। रहने दीजिए, दुकान जैसी भी हो आप यह मुखौटा ले जाईए। फिर शिव की गद्दी पर बैठ कर जितना मर्जी झूठ बोलिए। कसमें खा-खाकर कम तौलिए, किसी से नर्मी से तो किसी से गर्मी से बात कीजिए। पहले आदमी को आंखों-आंखों में तौलिए, फिर जैसा गाल देखो वैसा तमाचा जड दो। ग्राह्कों को धोखा देने के लिए यह मुखौटा बहुत ही कारगर सिद्ध होगा। जितना माल हो गोदाम में छुपा दीजिए। ब्लैक की कमाई का स्वाद ही कुछ और होता है। यदि आपकी दुकान पर कोई इंसपेक्टर आ जाय तो उसके लिए वो जो नीले हैंगर में मुखौटा टंगा है ना, वो ले जाईये। थोडा सा इंसपेक्टर को खिला कर बाकी का आप हडप जाईये जब मुंह खाता है तो आंख शरमा जाती है। उसके साथ ही तेल से भीगी हुए कमीज़ और फटा हुआ पायजामा टंगा है। यदि कभी सेल्-टैक्स के दफतर में जाना पड जाय तो यह आपके काम आयेंगे। इन मुखौटों का समयानुसार सदुपयोग करने से आपको किसी प्रकार की कोई भी कठिनाई नहीं होगी।
हां श्रीमान जी, आपकी किस चीज़ की दुकान है। रहने दीजिए, दुकान जैसी भी हो आप यह मुखौटा ले जाईए। फिर शिव की गद्दी पर बैठ कर जितना मर्जी झूठ बोलिए। कसमें खा-खाकर कम तौलिए, किसी से नर्मी से तो किसी से गर्मी से बात कीजिए। पहले आदमी को आंखों-आंखों में तौलिए, फिर जैसा गाल देखो वैसा तमाचा जड दो। ग्राह्कों को धोखा देने के लिए यह मुखौटा बहुत ही कारगर सिद्ध होगा। जितना माल हो गोदाम में छुपा दीजिए। ब्लैक की कमाई का स्वाद ही कुछ और होता है। यदि आपकी दुकान पर कोई इंसपेक्टर आ जाय तो उसके लिए वो जो नीले हैंगर में मुखौटा टंगा है ना, वो ले जाईये। थोडा सा इंसपेक्टर को खिला कर बाकी का आप हडप जाईये जब मुंह खाता है तो आंख शरमा जाती है। उसके साथ ही तेल से भीगी हुए कमीज़ और फटा हुआ पायजामा टंगा है। यदि कभी सेल्-टैक्स के दफतर में जाना पड जाय तो यह आपके काम आयेंगे। इन मुखौटों का समयानुसार सदुपयोग करने से आपको किसी प्रकार की कोई भी कठिनाई नहीं होगी।
आपकी शिकायत
सही है। हैं तो आप थानेदार परंतु कोई भी आपकी इज्जत नहीं करता आपका कोई रौब
नहीं है। कोई बात नहीं, मैं आपको भी एक मुखौटा देता हूं। आज की दुनिया में
केवल खाकी वर्दी पर स्टार लगा लेने से कुछ नहीं होता। यह राकेट युग है।
आपके लिए यह लाल रंग का मुखौटा ठीक रहेगा। कोई आसामी आती दिखाई दे तो अपने
सीधे स्वभाव पर यह मुखौटा ओढ लीजिए। आपका चेहरा क्रोध से लाल हो जायगा। फिर
उसे मां-बहन की गालियां ऐसे दीजिए जैसे बच्चों को आशीर्वाद दिया जाता है।
बिना कंजूसी के डांट पिला दीजिए। यदि कोई मिलने वाला आ जाय या कोई सिफारशी
पत्र आ जाय तो यह सफेद मुखौटा अटका लीजिए। बडे प्यार से बात कीजिए।
नहीं-नहीं करते जाईए और रिशवत से जेब भरते जाईए। सैंया भये कोतवाल तो डर
काहे का ? जो दूसरों को जितना अधिक मूर्ख बना ले वह उतना ही बुद्धिमान। तेल
की धार के साथ चलना सीखो।
डरिए
नहीं। एक-एक करके आते जाईए और आपना मन पसन्द मुखौटा लेते जाईए। मैंने सबके
लिए मुखौटे बनवा रखे हैं। आप आफिसर हैं या चपरासी, मालिक हैं या नौकर,
मास्टर हैं या विद्यार्थी, प्रोफेसर हैं या स्टूडेंट, लडका हैं या लडकी,
सर्विस करते हैं या बिजनेस मतलब यह कि हर प्रकार के तथा हर किस्म के मुखौटे
मैं बेचता हूं। अब आपसे क्या छुपाना, मेरी दुकान की सफलता का भी यही राज़
है। मैं भी ग्राहक को देखकर मुखौटा बदल लेता हूं।
राम कृष्ण खुराना
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