भक्ति करो शिव की, मगर तू मोल मत लो
निष्काम भक्ति ही सफल, स्वार्थ तौल मत लो।
मुनिन प्रथम हरिकीरति गाई चल पथ सो
भस्मासुर सा वर दुर्पयोग दाम मत लो।
पाना है शिव को, सेवा करो हर भक्तों की
त्याग तप हो सती सा, परीक्षण नाम मत लो।
है अगर श्रद्धा शिव से, एक अरज शिव आशिक
तू छोड़ हरिहर ,अपर देव नाम मत लो।
सजी बहु इच्छाएं अभिलाषाएं नर मन में
पर इच्छा त्याग आलाम का सलाम मत लो।
सीख साधक तप कठिन परिस्थितियों से लड़ना
सुख शांति शिव पद, स्वार्थ वट छांव विश्राम मत लो।
खुद की भावनाओं को कर अर्पित शिव पद तू
पर नर मन निज अर्पण मान मोल मत लो।
माना कि तप राह दुर्गम, दर्द है, पीड़ा है।
पर शिव प्राप्ति पूर्व तू कभी विश्राम मत लो।
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