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सोमवार, 14 अक्टूबर 2024

तोला चाहे मन हर मोरे

 गीद

तोला चाहे मन हर मोरे, हवय कइसने बइहा बानी।

भुइयाँ के कन-कन हर देखा, लागे हम ला आमा चानी।।


भीतर-भीतर कतका जावों, जेमा तोला मैंहर पावों।

तोला पाके पल-पल संगी, घरि-घरि मैंहर नाचों गावों।।

एक-दुसर ले सबो जुरे हन, दिखबो सावन हरियर धानी।

भुइयाँ के कन-कन हर देखा, लागे हम ला आमा चानी।।


मन माँदर कस हर पल बाजे, आँखी छूके दिल ला मोरे।

तार जमो बीना के छूके, बाजे जइसे नरियर फोरे।।

मंतर बनिहों ओम नमो के, जन जीवन आँखी के पानी।

भुइयाँ के कन-कन हर देखा, लागे हम ला आमा चानी।। 


कुण्डलिनी मा दूनों मिलथन, नी जानन जग कइसे रइबो।

बइहा हम ला बइहा समझे, नी मानन कुछु कइसे कइबो।।

मलय पवन कस जन-जन महके, तन-मन मानस पावन दानी।

भुइयाँ के कन-कन हर देखा, लागे हम ला आमा चानी।। 


सीताराम पटेल 'सीतेश'

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