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रविवार, 26 नवंबर 2023

जब नही कोई मसला !

 

जब नही कोई मसला , गिला करता क्या है ,
उफ़ अमानत में ख़यानत , यह रिश्ता क्या है !
जब नही कोई मसला . . .
सूनी हवेली में देता , क्यों दस्तक आकर ,
सदायें अनसुनी रहती , पुकारता क्या है !
जब नही कोई मसला . . .
दो के दरमियान , ना नाता,ना माकूल वज़ह ,
फिर हमसाया सा होकर , पूछता क्या है !
जब नही कोई मसला . . .
तेरे ही सामने चाहत पे , मक़बरे क़ाबिज़ ,
होके जश्मदीद , गवाहों को ढूंढ़ता क्या है !
जब नही कोई मसला . . .
अंधेरे गर्त में सुनसान सा , काला साया ,
खोये मझधार में डुबों को , सूझता क्या है !
जब नही कोई मसला . . .
बे-इमान हुई नीयत , बे-आबरू ख़ुद्दारी ,
मर जाय जब ग़ैरत , जिन्दा बचता क्या है !
जब नही कोई मसला . . .
लक्ष्य
एल . पी . शर्मा
जयपुर !
राज .

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