अब इम्तहान जीस्त में आया है दोस्तो
मुद्दत हुई फिर तुमको पुकारा है दोस्तो
बिक रहे हैं इस कदर रिश्ते सरे बाज़ार
रिश्तों की फिर मेयार बनाना है दोस्तो
पराए भी होते तो कोई गम नहीं होता
इंसा नहीं तो किसका सहारा है दोस्तो
तन्हा किया है इस कदर पैसे ने जिंदगी
मुफलिसी तुम्हारे संग गवारा है दोस्तो
मुर्दों की तरह जीने में लुत्फ नहीं"सरल"
जिंदा दिली में नाम तुम्हारा है दोस्तो
सरल कुमार वर्मा
उन्नाव, यूपी
9695164945
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