अब संतप्त सरित लिखो...
मैं प्रीत लिखती जाऊँ सदा,तुम तो बस गीत लिखो।
मैं रीत लिखती जाऊँ सदा,तुम तो बस सुरीत लिखो।।
आँचल बाँहे तेरे साथ नहीं,आँसू न बह जाए कहीं।
हार गई सब वार गई मैं, सजन इसे न जीत लिखो।।
जिनको गाते सदियाँ बीतीं,उनको अब प्रगीत लिखो।
इस राह में कल न शायद,इसको बस अतीत लिखो।।
अंखियों में रातें बीत रहीं,अब कितनी और बिताओगे।
दिल में दफन अहसासों को,अब कल्पनातीत लिखो।।
सब रूदन संगीत न बनती,रीत यही विरहित लिखो।
जीकर भी मैं जी न पाई,अब प्रिये मुझे अरित लिखो।।
हम जिस राह से गुजर रहें,जाने वो कैसे गुजरे होंगे।
बहकर भी जो बुझ न पाई,अब संतप्त सरित लिखो।।
रोशन साहू ( मोखला )
7999840942
।।मुस्कान की फसल उगाएँ।।
जिनको पता वही बताएँ,हम क्या खोयें क्या पाएँ।
लीक लकीरों पर चल हारे,अब राह न कोई भटकाएँ।।
चरण चिन्ह देख चलें हैं,अमिट रेख क्या गलत सही है।
तय भी तो है वापस जाना,अब गफलत पल न गवाएँ।।
हवा मुट्ठियों में आएँ न मतलब की रेखा खींच जाएँ।
कुछ रिश्ते बिन अनुबंधन,पल साथ-साथ चल पाएँ।।
जानी-पहिचानी बस नही है,इतनी सी ही दुनियादारी।
नाम पट्टिका मतलब से हैं,बेमतलब परिचय बनाएँ।।
हाथ सदा मोतियाँ रीतीं,यूँ चलो अनुभव पूंजी लुटाएँ।
तन से धन से कर न सकें,मन संबल हम बन पाएँ।।
तस्वीरों में न साथ सही,तकलीफों में जो साथ
खड़े।
समझौतों का दर्द न पालें,मुस्कान की फसल उगाएँ।।
रोशन साहू (मोखला)
7999840942
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