आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

शनिवार, 25 नवंबर 2023

कालूराम पथिक जी का एक नवगीत

वागर्थ।
हम उदासी से भरे बादल!
हमारा क्या!!
भीड़ कोलाहल शहर में
बिजलियों का डर!
है खुले आकाश के नीचे हमारा घर!!
घुल गया है जंगली पन
आदमीयत में!
दर्द की जागीर पाई है
वसीयत में!
है बरसती आंख के काजल!
हमारा क्या!!
रोटियों में ही अभी तक
ज़िन्दगी उलझी!
लोग सुलझाते रहे
गुत्थी नहीं सुलझी!!
अब असर बाकी कहां
होगा दवाओं में!
घोल आए हैं जहर
जाकर हवाओं में!!
मौत के नजदीक आते पल!
हमारा क्या!!
हम उदासी से भरे बादल!
तुम्हारा क्या!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें