Gudiyaa Raajeev Ranjan
क्या करूँ ! जो राह में भी बस तुम्हारी याद थी
क्या हुआ! तुमने अगर सारी उदासी बाँध दी
क्या करूँ! हर पल तुम्हारी गन्ध मेरे साथ थी
क्या हुआ! जो दर्प की खारी हँसी थी सालती
क्या करूँ ! जो फिर तुम्हारा साथ मिलता ही नही
क्या हुआ! मैने छिपा ली आज आँखों की नमी
क्या करूँ ! जो हर कथा नाकामियों का ढेर थी
क्या हुआ! जो स्वर तुम्हारे फिर कभी गूँजे नहीं
क्या करूँ ! विश्वास के जादूगरी की नीद थी
क्या हुआ ! जो स्वप्न करता ही रहा जादूगरी
क्या करूँ ! जो रिक्तता की बात तुमने छेड़ दी
क्या हुआ! जो बात मेरी लौट आती बावरी
क्या करूँ ! अनुगूँज का जो मुझे है टेरती
क्या हुआ! जो कालिमा नेपथ्य की गहरा गई
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