महसूस किया दिल ने जो भी,वो बतलाना ज़रूरी है,
जो ना समझे एहसासों को,उन्हें समझाना ज़रूरी है।
वो किस्से,वो बातें,वो लम्हे वो पलछिन,
एक - दूजे के संग में बिताना ज़रूरी है।
वो जब हम मिले थे, कुछ सर्द थी हवायें,
उन पलों का तो पल - पल याद आना जरूरी है।
कोई ख़्वाब हो जैसे ओस की बूंदों सा,
भीगी हुई पलकों से उसको गिराना ज़रूरी है।
कुछ ख़्वाब गीत बन कर अधूरे हैं 'वाणी' के,
पूरा करने को उनको अभी गुनगुनाना ज़रूरी है।
बृजेश शर्मा 'वाणी'
राजस्थान
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