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गुरुवार, 6 जुलाई 2023

माई

गंगा नदी के समीप एक सभ्रान्त महिला रहा करती थीं। अपूर्व सुन्दरी एवं शालीन। सफेद साड़ी के साथ कभी लाल ब्लाउज कभी काला ब्लाउज।
झुग्गी में रहने के बाद भी ऐसा प्रतीत होता था जैसे कहीं की रानी रही हों।
वहाँ रहने वाले की सहायता किया करती थीं।
बच्चों को पढ़ाया करती थी। शाम के समय बुजुर्गों एवं महिलाओं को रामायण, महाभारत आदि धार्मिक ग्रंथों को सुनाया करती थीं। सभी की माई थीं वे।
किसी की हिम्मत नहीं थी उनसे उनके विषय में जानने की।
झुग्गी में रीमा और सीमा दो बहनें रहा करती थी।
रीमा ने कहा कि "माई मन्दिर गयी हुई है। पता है उनके विषय में। वे नदी किनारे मिली थीं।बहते हुए पानी से छानकर मन्दिर के पुजारी बाबा लाये थे।
दुल्हन के जोड़े में थीं।
शादी के तीसरे दिन ही पति के नाजायज सम्बन्ध के विषय में ज्ञात हो गया था। सहन नहीं कर सकीं और नदी में कूद गयीं।
कहाँ की है? कौन हैं? पुजारी बाबा को ही पता है। बेटी की तरह ही स्नेह देते हैं।
वर्षों से माई रह रही है।"
सीमा ने कहा कि "माई आ रही है। चुप हो जा।"
माई बिना कुछ कहे अपने रूम में चली गई।
दो दिन तक माई बाहर नहीं निकलीं। सभी परेशान।
माई मौन हो गई थी।
पता चला कि माई के पति को पता चला तो वे माफी मांगने आये थे।
इसलिए मन्दिर गयी थी।
क्या भाग्य पाया है माई ने। पति मिले तो अन्तिम समय में।"
"क्या हुआ बाबा? माई को कहाँ ले जा रहे हैं?
"रीमा तेरी माई महाप्रयाण की ओर चल दी है।तेरी माई देवी थी।
तप करने तपस्विनी चल पड़ी।"
कोटि कोटि में ऐसी महान् नारी अवतरअवतरण लेती है। अपने पति के लिए अपने जान की परवाह नहीं की थी। उनका कहना था कि " अगर पति को कोई पसन्द थी तो हम बीच में क्यों आते। मैं तो 'फेरे के समय में ही उनकी दीवानी हो गयी थी। पति अपने पिता के डर से विवाह के लिए हामी भरे थे। किसी को छीनना प्यार नहीं होता! मेरे रहते तो मिल नहीं सकते उससे। दो प्यार करने वाले के मध्य आना सही नहीं था। ये पता था कि आत्महत्या करना पाप है लेकिन दो प्रेमी को मिलाना भी पु़ण्य का काम होता है। "
हमारे द्वारा बचाने के बाद उन्होंने अपनी जिन्दगी को नया आयाम दे दिया। कहा करती थीं कि "बाबा! आपने मुझे जीवन दान देकर आत्महत्या के पाप से बचा लिया। "
ऐसी पुण्यात्मा थी तुम सब की माई।
"अन्तिम दर्शन करके नमन कर लो।"
कह बावा बिलख उठे।
डॉ रजनी दुर्गेश
देहरादून
४.७.२९२३

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