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गुरुवार, 6 जुलाई 2023

उसका झूला

वह झूला झूलती हुई लड़की
किसी भी जनम की कहानी गाते हुये
किसी भी जनम में सुना सकती है
पिछले जनम में
अगले जनम में
और चाहे तो इस जनम की कहानी
इसी जनम में सुना दे
वह झुला झूलते झूलते गा रही है
वह तो काल के आर पार हो रही है
मिस्र की हजारों साल पुरानी
ममी से उठ कर बैठ जाती है
अलास्का में बर्फ के गोलों से
फूल खिलाती है उन पर मंडराती
तितलियों को
हाथ हिला कर बाई बाई करते हुये
गाती है
झुले पे पेंगें लेते हुये
ट्राँससाईबेरियन ट्रेन पर कूद जाती है
जाने कितने जनमों की कहानी में
पेंगे भरती आगे पीछे होती
लगातार झूले जाती है
झूले की लय
झुलती हुई लड़की के अंदर
तीन ताल में बजती त्रिकाल तरंग
भृकुटि भंग
जैसी उठती गिरती है
वह लगातार झूले जा रही है
कई जनमों की कहानियों को
हिला जुला कर फेंट देती है
अतीत से भविष्य झलका देती है
वर्तमानसे चिपके रह गये अतीत को
पतंग के पुच्छले जैसा लहराने देती है
पूरी पृथ्वी के गोलार्ध को पार कर जाती है
किसी जनम की कहानी का भविष्य
वहीं पूरब में छूट जाता है बार बार
वह पल में पूरब से पश्चिम में
और पश्चिम से पूरब में जाती है
झूला झूलती लड़की
आने वाली बाकी सदियों की सीटी
बजाती है
सीटी के पेट में
पिछली किसी सदी को
सूखे हुये बेर की गुठली की तरह
फूँक फूँक कर उछालती है
फुर्र फुर्र कर उड़ाती है सीटी के पेट में
झूला झूलती लड़की भी क्या
कमाल दिखाती है
हाथ से छूट कर जमीन पर गिरी सीटी
झूलते झूलते पेंग बढ़ा कर
पैर के अंगूठे से फंसा कर
होंठों तक ले जाती है
एक लम्बी सीटी गूँजती है
और कई जनम की
कहानियां उड़ने लगती हैं
वह ऐसे पेंग भरती है जैसे
बंदूक से छूटे हुये छर्रे हों हरे तोतों के झुंड
सीधी उड़ान लेकर आधी दूर से
झुले की वापसी के साथ एकदम
हेयरपिन टर्न लेकर लौट पड़े हों
झुला झूलती लड़की
झूलते झूले मे ही हाथ बढा कर
पीछे छूट रही हरी टुइयाँ को
मुट्ठी मे भर कर तोतों के
झुंड के आगे फेंक देती है
और मस्त हो कर खिलखिलाती है
हरे तोतों के झुंड के पिछड़ जाने पर
अंत तक कोई नहीं जान पाता है
झूला झूलती लड़की किस जनम की
कहानी गाते हुये झूल रही है
और किसने किस दरख्त की
इतनी मोटी डाली पर
डाला था उसका झूला

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