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गुरुवार, 6 जुलाई 2023

चलो लड़कियों बखेड़ा खड़ा करते हैं

नैरात्री शुरू होने वाली थी।मंदिर के सजावट और व्रत का सामान लेना था।प्रिया और उसकी दोनो नंदे बाजार की ओर निकल पड़ीं। बाजार में भीड़ के साथ साथ बड़ी रौनक भी थी और शोर भी।पूरा मार्केट सजा हुआ था।
ननद भाभियां कई दुकानों पर जा जाकर समान देख रही थी।भीड़ का फायदा उठाकर एक लड़का प्रिया की बड़ी नंद रीमा को पीछे से गलत टच कर रहा था, कि प्रिया की नज़र यकायक उस हरकत पर पड़ गई। प्रिया आग बबूला हो उठी।वो विरोध करने ही वाली थी, कि पिछली बार का ट्रेन का किस्सा उसे याद आ गया।
और वो चुप रह गई।आखिर दीदी तो विरोध कर नही रही, वो कैसे बोले।सच ही है जब तक स्त्री खुद अपने साथ होते अन्याय का विरोध नही करती कोई उसका साथ नहीं देता है। प्रिया बस मन मसोस कर रह गई।
सभी फिर सामग्री लेने में व्यस्त हो गईं कि अचानक से पीछे से किसी ने प्रिया को भी बैड टच किया।प्रिया हवा के रफ्तार से पलटी और चटाक से उसे एक थप्पड़ जड़ दिया।ये तो वही लड़का है जो थोड़ी देर पहले दीदी को…।
बाजार में शोर के बावजूद उस थप्पड़ की गूंज दूर तलक सुनाई दी।और आज पास के लोगों की नज़रें आकार प्रिया पर टिक गईं।प्रिया आग्नेय नेत्रों से उसे घूरे जा रही थी।उसकी नंदे भी उसे हैरानी से देख रही थी।
लड़का बोला.. थप्पड़ क्यों मारा मुझे??मैने आखिर किया क्या है?
प्रिया गुस्से से बोली..पूरे भींड को बताऊं तेरी हरकत कि तूने क्या किया है।पता है फिर भीड़ का रिएक्शन क्या होगा।बता तूने मुझे बैड टच नही किया।
कुछ दुकान वाले अपनी दुकानों से निकलते हुए बोले.. मार इस को…पकड़…।इतना सुनना था कि वो लड़का हवा की रफ्तार से भी तेज भागा।
प्रिया की नंदे उसके पास खिसकते हुए धीमे से बोलीं… क्या भाभी, आप जहां भी जाती हो बखेड़ा खड़ा कर देती हो आप। उस दिन ट्रेन में भी ऐसे ही बखेड़ा किया था आपने।ये सब सिर्फ आप ही के साथ क्यों होता है।और भी लड़कियां थी मार्केट में उनके साथ क्यों नही।बस आप कुछ ज्यादा ही सोचती हो, आप ओवर रिएक्ट करती हो।
सच सच बताना दीदी.. क्या आपके साथ नही हुआ कभी??क्या अभी थोड़ी देर पहले नही हुआ??इतनी गारंटी के साथ कैसे कह सकती हैं आप, कि किसी और लड़की के साथ नही होता?या यहां मौजूद कोई भी लड़की कह दे कि उसके साथ कभी ऐसा नहीं हुआ?प्रिया ने एक के बाद एक सवाल दागे।
प्रिया की नंद चुप थी।उनकी चुप्पी सब बयां कर रही थी।दो चार लड़कियां जो वहां अभी भी खड़ी थी, उन्होंने भी अपनी नजर झुका कर अपनी सहमति दे दी।
प्रिया ने आगे अपनी बात जारी रखी… जानती हो दीदी, होता हर लड़की के साथ है।पर लड़कियां डरती हैं बखेड़ा करने से।इसलिए चुप रहती हैं। लडकियां डरती हैं महफिल उन्हे गलत नजर से न देखे।और यहीं लड़कों को शह मिल जाता है।उन्हे पता है, लड़किया चुप रहेंगी।
बखेड़ा खड़ा होने से हम क्यों डरें दीदी। क्यों न इस बखेड़े का डर अपने मन से निकाल कर लडको के मन में डाल दिया जाए। ताकि अगली बार किसी भी लड़की के साथ ऐसा कुछ करने से पहले लड़के सहम जाएं ये सोच कर कि कहीं ये बखेड़ा न खड़ा कर दे। क्यों न हम लोग चलो बखेडा खड़ा किया जाए। क्यों न हम इसका विरोध करें।
कह तो तुम सही रही हो भाभी।हमारे साथ बहुतों बार हुआ है पर चुप रहे हैं।वो लड़कियां भी बोलीं, हां हमारे साथ भी हुआ है पर हम अक्सर चुप ही रहे हैं।पर आगे से हम भी बखेड़ा खड़ा करेंगे।
जवाब में प्रिया बस मुस्कुरा दी।
स्वरचित मौलिक
प्रीती वर्मा
कानपुर

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