आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

जिन्दगी भी कितना...

जिन्दगी भी कितना...
हर एक बात में सौ बात बताती है मुझे।
मेरी जिन्दगी भी कितना सताती है मुझे।
मेरे दिल के कब्रिस्तान में मिट्टी कम है।
कई रिश्तों की मय्यत नज़र आती है मुझे।
चुप रहता हूं तो सांस अटकती है मेरी।
और बोलूं तो हर बात सताती है मुझे।
पांव मेरे हैं मगर सारा सफ़र और का है।
ये जिंदगी है जो कांटों पर चलाती है मुझे।
मेरी उम्मीद से ज्यादा ना कर कोई करम।
तेरी ये नज़रे करम और रुलाती है मुझे।
मैं गिला करूं भी तो #मीत कैसे करूं।
हर नई चोट सबक एक सिखाती है मुझे।
मीता लुनिवाल "मीत"
जयपुर, राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें