जिन्दगी भी कितना...
हर एक बात में सौ बात बताती है मुझे।
मेरी जिन्दगी भी कितना सताती है मुझे।
चुप रहता हूं तो सांस अटकती है मेरी।
और बोलूं तो हर बात सताती है मुझे।
पांव मेरे हैं मगर सारा सफ़र और का है।
ये जिंदगी है जो कांटों पर चलाती है मुझे।
मेरी उम्मीद से ज्यादा ना कर कोई करम।
तेरी ये नज़रे करम और रुलाती है मुझे।
मैं गिला करूं भी तो #मीत कैसे करूं।
हर नई चोट सबक एक सिखाती है मुझे।
मीता लुनिवाल "मीत"
जयपुर, राजस्थान
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