आज के रचना

उहो,अब की पास कर गया ( कहानी ), तमस और साम्‍प्रदायिकता ( आलेख ),समाज सुधारक गुरु संत घासीदास ( आलेख)

शुक्रवार, 26 मई 2023

तुम तो सफेद हथिनी लगती हो

 महेश कुमार केशरी

      भाई शब्द  की महिमा  अपरंपार  है l भाई भरत का सिंहासन पर ना बैठना l और राम के खडाऊ का वंदन करना भारतीय  पुरातन परंपरा में एक विरला और एक  अद्वितीय   उदाहरण  है l उनका ये भ्रातृ प्रेम कलियुग  में हमारे यहाँ की महिलाओं का सुरक्षा कवच भी बनकर सामने आया है l जिसने हम झोला छाप मजनूँओं की वाट लगा दी है l  इधर भारतीय राजनीति में नीरव  मोदी , और , विजय माल्या ने जितना दोहन हमारे भारतीय बैंकों का किया है l   उससे कहीं ज्यादा  दोहन  या कह लें कत्ल हमारी तथाकथित भारतीय सुंदरियों  ने हम आशिक मिजाज आशिकों को " भईया " का संबोधन कहकर किया है l भारतीय सुंदरियों  के लिये  " भईया " शब्द  एक तरह का सुरक्षा कवच  होता है  l जैसे दुश्मन से बचने के लिये हमारी सेना बंकरों का इस्तेमाल   करती है l वैसे ही ये महिलायें  " भईया " शब्द का उपयोग , अभेद किले के तौर पर करतीं हैं l 
     बहुत पुराने समय की बात है l सुघड़ जी नाम के एक ऋषि हुआ करते थें l सुघड़ पुराण जिन- जिन मनीषियों  ने पढ़ा है l उनको सुघड़ ऋषि के बारे में अवश्य जानकारी  होगी l सुघड़ पुरण का  एक  प्रसंग है , जिसे मैं आपको सुनाता हूँ l 
      जुगाड़ू  जी की एक स्टेशनरी की दुकान थी l उनके यहाँ एक हथिनी जी अक्सर आती- जातीं थीं l जुगाड़ू  जी बेचारे बहुत ही सीधे- साधे आदमी थें l उन्हें तीन - पाँच से कोई मतलब नहीं था l उनके शहर में एक बार एक खेल आयोजन " हथिनी जी के  महाविधालय "   में होना तय हुआ था l सफेद हथिनी  जी की नाक चपटी थी , जो 
      उनकी सुंदरता में चार - चाँद लगाती थी l कद -काठी ठिगनी सी थी l मुश्किल  से चार - सवा- चार फीट की थीं , सफेद हथिनी जी  l उनको देखकर कोई घोड़ा क्या  बंदर भी घास नहीं डालता l लेकिन , उन्हें गुमान था कि शहर के हर मर्द की नजर उन पर है l और हर नजर उन्हें  गोश्त के एक टुकड़े की तरह देखता है l इसलिए  प्राय: वो सभी मर्दों से एक निश्चित  दूरी बनाकर रखतीं l किसी कारण वश यदि बातचीत करना बहुत जरूरी भी हो तो वे बड़ी होशियारी  से सामने वाले से भाई का रिश्ता  जोड़ लेतीं l जैसा कि प्राय: सभी महिलायें  आत्ममुग्ध  होती हैं l तो , हथिनी  जी भी आत्ममुग्ध  थीं l प्रार्चाय  थीं  तो काॅलेज के मजनूँनुमा टीचरों  से मुफ्त  के मोबाईल रिचार्ज करवातीं l सैर - सपाटे , पिकनिक  - सिनेमा भी साथ देख आतीं l मुफ्त की आईसक्रीम भकोसतीं l इस तरह हर मजनूँनुमा आशिक के वे मजे लेतीं l जब आशिक आजिज आ जाता l  या उसे लगता कि उसकी अच्छे  से ली जा रही है l तो , ठीक उसके कुछ कहने से पहले ही वो कह देतीं l अरे , तुम तो मेरे भाई जैसे हो l 
     पर कटा हुआ आशिक  , तब बुरी तरह से लूटने- पिटने के बाद जार - जार रोता l 
     हथिनी जी को लेकर एक किंवदंती  भी है l कि हथिनी जी पिछले जन्म  में मेनका या रंभा की तरह अप्सरा हुआ करतीं थीं l बला की खूबसूरत l सुघड़ जी उस समय धरती पर तपस्या  कर रहें थें l वे तीनों लोकों को जीत चुके थें l अब हर ओर सुघड़ जी की जय- जयकार  हो रही थी l भगवान  इँद्र का सिंहासन जब खतरे में पड़ा तो l तो भगवान  इँद्र , भगवान विष्णु  के पास गये l और बोले  -प्रभु ये अदना सा आदमी आपको अपनी तपस्या से खुश करके l मेरे इंद्र लोक पर कब्जा करना चाहता  है l कुछ , कीजिए,  प्रभु , कुछ कीजिए ! 
      तब भगवान् विष्णु  ने हथिनी को मेनका का रूप देकर सुघड़ जी की तपस्या  भंग करने के लिये  भेजा l सुघड़  जी घोर तपस्या  में लीन थें l जब हथिनी ने ,   मेनका बनकर उनकी तपस्या भंग कर दी l तब , सुघड़ जी ने मेनका को क्रोधित नेत्रों  से देखते हुए श्राप दिया कि  - हे  मूर्ख  स्त्री ! तूने मेरे वर्षों की तपस्या  को भंग किया है l जा तू अगले जन्म  में एक हथिनी के रूप में जन्म  लेगी l तेरी हरकतें देखकर तेरी , जो बाद की जातियाँ   पैदा होंगी l वो मक्कार पैदा होंगीं l मर्दों से मोबाइल के फ्री रिचार्ज  करवायेंगीं l होटलों में ठूँस- ठूँस कर खायेंगी l मुफ्त के आईसक्रीम  भकोसेंगीं l  मर्दों के पैसों पर खूब सैर- सपाटे करेंगीं l जिन्हें  केवल पैसे से प्रेम होगा l आदमी से नहीं l 
     जिनकी अक्ल घुटनों में होगी l कोई भला मानुष भी उनसे प्रेम करने की सोचेगा l तो उस आदमी में हर औरत को   एक भेंडिया ही दिखाई देगा l सच्चा प्रेम उन्हें कभी नहीं मिलेगा l वो सबको शक की नजरों से देखेंगीं l जिस तरह तूने छल करके मेरी तपस्या  भंग की है l तू भी अपने धोखे के कारण छली जायेगी l जा अगले जन्म  में तू भैंसी बनेगी l 
       लेकिन ; अगले जन्म  में मेनका भैंसी तो ना हुई l अलबत्ता  हथिनी  जरूरी हो गई l छलने वाली बात भी उल्टी पड़ गई l उसे लोग क्या ठगते l वो ही लोगों को ठग लेती l कभी मुफ्त की रिचार्ज  करवा लेती l कभी मेला- सिनेमा घूम आती l कभी  मुफ्त की 
आइसक्रीम भकोसती l जब तक उसके आशिक को पता चलता l तब तक वो कोई नया आसामी ढूँढ़ लेती l
      हथिनी जो को किसी ने  कह रखा था ,  कि आपकी नाक चपटी है तो क्या हुआ ?  आपका रंग तो गोरा है l वैसे भी  हमारे देश में कलर को लेकर मारा -मारी है l और , लोग कलर को लेकर काॅमप्लिकेशन  पाले हुए हैं l नहीं तो मार्केट  में गोरा होने के इतने सारे ब्यूटी प्रोडक्ट की बाढ़ नहीं आती l 
जैसे अंधों में काना राजा होता है l वैसे ही आप नाटी  हैं तो , क्या हुआ ? वैसे  आप  भैंस के मोटापे को भी फेल करने में महारत  रखती हैं l  हमारी हथिनी बिरादरी की आप , सेरेना विलियम्स  हैं  l फिर , क्या  था ? करेला नीम को चढ़ा वाली कहावत हो गई l हथिनी  जी भी अपने को "मिस - वर्ल्ड "  समझने लगीं l वैसे तो हथिनी जी जुगाड़ू   जी से अपने काम से काम रखतीं थीं l  लेकिन " महाविधालय के खेल प्रतियोगिता आयोजन वाले दिन " उनको अपना नंबर जुगाड़ू  जी को देना पड़ गया l उनका सातवाँ  सेंस खुल गया l  जैसे लोहे को लोहा काटता है l कि तर्ज पर रिश्ते को रिश्ते  से काटा जाये वाली खुराफात  हथिनी  जी को सूझी l वो , जुगाड़ू 
       जी को " भईया " कहकर संबोधित करने लगीं l तब जुगाड़ू  जी चकराये l बोले -" ये औरत तो बड़ी खुराफाती  दिमाग की है l " 
मैनें कहा-" हाँ  ,जुगाड़ू  जी , ये सेफ-जोन में रहकर हर गेम खेलतीं हैं l मैनें और शिक्षकों  के आशिक बनने और जिबह होने के किस्से उनको सुनाये l " 
वो दिन है था l और आज का दिन है l जुगाड़ू 
जी ने कभी हथिनी  जी को फोन नहीं मिलाया l

मेघदूत मार्केट  फुसरो
बोकारो ( झारखंड)
पिन-829144

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें