नवीन माथुर पंचोली
साथ अपने जहाँ मिल गए।
हाथ उनसे वहाँ मिल गए।
फ़ासलों का पता न चला,
रास्ते कब कहाँ मिल गए।
कट गया मुश्किलों का सफ़र,
लोग सब मेहरबाँ मिल गए।
जो तलाशे वहाँ दूर तक,
वो सभी अब यहाँ मिल गए।
था मिलेंगे किसी दौर में,
वो इसी दरमियाँ मिल गए।
ख़ुश-नसीबी रही वास्ते,
फिर से हमकों जवाँ मिल गए।
साथ रहकर गए जो निकल,
फ़िर वही कारवाँ मिल गए।
हाल ऐसा हमारा रहा,
सख़्त कुछ इम्तिहाँ मिल गए।
अमझेरा धार मप्र
9893119724
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