दुनिया की फ़िक्र छोड़के चलते रहो मियां
खुश्बू से मोहब्बत की महकते रहो मियां
थककर कहीं ये राह में मत बैठना कभी
आगे हमेशा आगे ही बढ़ते रहो मियां
इससे कभी भी आपका ये जी न भरेगा
दिल की किताब है इसे पढ़ते रहो मियां
कर लीजिए अच्छा ही होगा प्यार का इज़हार
यूं याद में किसी की न जलते रहो मियां
शायद सुकून की कोई मंज़िल नज़र आये
तुम अपने दिल का दर्द कुचलते रहो मियां
जीवन में धूप छांव तो लगा ही रहेगा
यूं बात बात पर न बिगड़ते रहो मियां
मंज़िल की राह से तुम्हें ये दूर रक्खेगी
ग़फ़्लत की राह से सदा बचते रहो मियां
महेंद्र राठौर
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