ये
राजा राममोहन राय ही थे जिन्होंने बाल विवाह के साथ सती प्रथा के विरोध
में अनेक समाज सुधारकों को अपने साथ केवल जोडा ही नहीं बल्कि विभिन्न जगहों
पर उन सभी के माध्यम से समाज को जागरूक करने का एक अभियान चलाया था। इसके
अलावा इन्होंने उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैटिंग की मदद लेकर सती
प्रथा के खिलाफ एक कानून तक बनवा दिया था।
राजा
राममोहन राय ने अपने जीवन काल में अनेकों धार्मिक सुधारों के अलावा नारी
जाति को अनमेल विवाह, बहुविवाह, सती प्रथा,वेश्यागमन, जातिवाद, अस्पृश्यता
आदि जैसे कुरीतियों से मुक्ति दिलाने का यथासम्भव प्रयास किया। आपको यह
जानना भी आवश्यक है कि उस समय समुद्र पार कर विदेश जाना एक धार्मिक अपराध
माना जाता था लेकिन इन्होंने उस दकियानूसी मान्यता की अनदेखी कर विदेश जाकर
उस रुढिवादी परम्परा को समाप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाई। इन्हीं सब
कारणों के चलते सभी का मानना है कि इनके द्वारा उस समय से चालू की गयी
जागरूकता का ही परिणाम है कि आज हम इन सबसे मुक्त हो पाये हैं।
राजा
राममोहन राय ने उस समय ही कृषि सुधार जिसमें लगान कम करना वगैरह के साथ
प्रशासनिक व्यय कम करने पर सभी को एकजुट राय बना, कार्यान्वित करवाने में
एक महती भूमिका निभाई।
उपरोक्त
जैसे और भी अनेक कारण है जिसके चलते अनेक इतिहासकारों ने इनको न केवल
"बंगाल पुनर्जागरण का पिता" बल्कि भारत में सही मायने में सुधारवाद का
प्रथम प्रवर्तक कहा है।इसी क्रम में आपसभी को बता दूँ कि राष्ट्रगुरु
सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इनको 'भारत में सांविधानिक आन्दोलन का जनक' बताया
जबकि नोबेल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इनको इस शताब्दी का महान पथ निर्माता घोषित किया था।
निष्कर्ष
में मुझे यह लिखने में किसी तरह का संकोच नहीं है कि राजा राममोहन राय
द्वारा मानवता के लिये किये गये कार्यों के कारण हम सभी भारतवासी उनके
हमेशा हमेशा के लिये ऋणी रहेंगे।
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