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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

छन्द युग आएगा

गंगा जल लेकर चल मन तू, विश्वनाथ काशी के धाम।
चक्र थमेगा जन्म-मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
चिंता, व्यथा मिटेगी मन से, तन से पीड़ा होगी दूर,
मनमौजी-सा जीवन होगा, मोद रहेगी नित भरपूर,
कुछ क्षण दें दें भोले को बस, जग को दें दें आठों याम।
चक्र थमेगा जन्म-मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
नभ-सा नीरव मौन सधेगा, अंतस गूॅंजे अनहत नाद,
चिर निद्रा-सा ध्यान लगेगा, मिट जाएंगे सारे वाद,
सम ही लगेंगे सुख-दुख और, रैन-दिवस अरु ढलती शाम।
चक्र थमेगा जन्म-मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
माया फिर न प्रभावी होगी, मृग-तृष्णा का होगा अंत,
निर्विकार से तन-मन होंगे, बरसेगा आनंद अनंत,
दर्प भाव की कारा टूटे, प्रशमित होवे रति पति काम।
चक्र थमेगा जन्म-मरण का, करे जो भक्ति तू निष्काम।।
डॉ पवन कुमार पाण्डे
असिस्टेंट प्रोफेसर
निजामाबाद, तेलंगाना
98487815408

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